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देश में लीक हो रही परीक्षाओं के बीच महाराष्ट्र में परीक्षा अधिनियम विधेयक पेश, शिंदे सरकार ने इस वजह से उठाया कदम

विधेयक में कहा गया है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के संचालन में अनुचित साधनों और अपराधों में लिप्त पाए जाने वालों को कम से कम तीन साल की कैद की सज़ा दी जाएगी जिसे बढ़ाकर पांच साल किया जा सकता है। साथ ही 10 लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। जुर्माना न चुकाने की स्थिति में कारावास की अतिरिक्त सज़ा दी जाएगी।

By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey Updated: Fri, 05 Jul 2024 10:00 PM (IST)
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गड़बड़ी होने पर देना पड़ सकता है एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, मुंबई। देश के अनेक हिस्सों में प्रतियोगी परीक्षाओं में हो रही पेपर लीक की घटनाओं से सबक लेते हुए महाराष्ट्र सरकार ने राज्य विधानसभा में एक विधेयक पेश किया है, जिसका उद्देश्य प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी को रोकना है। इस विधेयक में अपराधियों को पांच साल तक की सजा का प्रावधान है।

शुक्रवार को पेश किए गए ‘परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024' शीर्षक वाला यह विधेयक मंत्री शंभूराज देसाई ने राज्य विधानसभा में पेश किया। विधेयक के अंतर्गत प्रतियोगी परीक्षाओं के संचालन से संबंधित अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे।

लगाया जा सकता है 10 लाख रुपए तक का जुर्माना

विधेयक में कहा गया है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के संचालन में अनुचित साधनों और अपराधों में लिप्त पाए जाने वालों को कम से कम तीन साल की कैद की सज़ा दी जाएगी, जिसे बढ़ाकर पांच साल किया जा सकता है। साथ ही 10 लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। जुर्माना न चुकाने की स्थिति में भारतीय न्याय संहिता 2023 के प्रावधानों के अनुसार कारावास की अतिरिक्त सज़ा दी जाएगी।

गड़बड़ी होने पर देना पड़ सकता है एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना

प्रतियोगी परीक्षा प्राधिकरण द्वारा परीक्षा आयोजित करने के लिए नियुक्त सेवा प्रदाता को गड़बड़ी होने पर एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। साथ ही, परीक्षा की आनुपातिक लागत ऐसे प्रदाता से ही वसूल की जाएगी और उसे चार साल की अवधि के लिए किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के संचालन की ऐसी कोई जिम्मेदारी सौंपे जाने से भी रोक दिया जाएगा।

परीक्षाओं के संचालन में व्यवधान से बचने के लिए प्रावधान

विधेयक की मुख्य विशेषताओं में प्रतियोगी परीक्षाओं के संचालन में व्यवधान से बचने के लिए प्रावधान करना, प्रश्नपत्र तैयार करने वालों के कर्तव्यों को निर्दिष्ट करना, अपराध की जांच के लिए पुलिस उपाधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त से नीचे के पद के अधिकारियों को सशक्त बनाना शामिल है। राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (स्नातक) के आयोजन में कथित अनियमितताओं के मद्देनजर यह विधेयक विधानसभा में पेश किया गया है।

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