सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने को प्रतिबद्ध, न उठाएं आत्महत्या जैसे कदम: मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि उनकी सरकार मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है।उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मराठा समुदाय को कानून के दायरे में आरक्षण देने की पूरी कोशिश कर रही है।राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में उपचारात्मक याचिका दायर की जिसे 13 अक्टूबर को स्वीकार कर लिया गया। आत्महत्या जैसा कदम न उठाएं। ऐसी कार्रवाई बहुत पीड़ादायक और दुखद होती है।
By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Mon, 23 Oct 2023 04:00 AM (IST)
पीटीआई, ठाणे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि उनकी सरकार मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने युवाओं से आत्महत्या जैसे कदम न उठाने का आग्रह किया। शिंदे ने नवरात्र के कार्यक्रम में भाग लिया। इस दौरान मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह के कदम उठाने से पहले अपने माता-पिता, परिवार, रिश्तेदारों, बच्चों और दोस्तों के बारे में सोचें।
पूरी कोशिश कर रही है सरकारः सीएम शिंदे
19 अक्टूबर को मराठा आरक्षण कार्यकर्ता सुनील कावले का शव मुंबई के बांद्रा में एक फ्लाईओवर के किनारे खंभे से लटका मिला था। उन्होंने एक सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें समुदाय को आरक्षण देने की मांग की गई थी।
राज्य सरकार मराठा समुदाय को कानून के दायरे में आरक्षण देने की पूरी कोशिश कर रही है। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में उपचारात्मक याचिका दायर की, जिसे 13 अक्टूबर को स्वीकार कर लिया गया। आत्महत्या जैसा कदम न उठाएं। ऐसी कार्रवाई बहुत पीड़ादायक और दुखद होती है।- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे
मनोज जारांगे ने आमरण अनशन करने की दी चेतावनी
वहीं, कार्यकर्ता मनोज जारांगे ने कहा कि यदि महाराष्ट्र सरकार मंगलवार तक मराठा समुदाय को आरक्षण देने में विफल रहती है तो वह 25 अक्टूबर से आमरण अनशन शुरू करेंगे। महाराष्ट्र के जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि आरक्षण की मांग पूरी होने तक मराठा समुदाय सांसदों और विधायकों सहित राजनीतिक नेताओं को राज्यभर के गांवों में प्रवेश नहीं करने देगा।यह भी पढ़ेंः 'टिकट न पाने वाले लोग बारामती के बारे में न करें बात', राकांपा प्रमुख शरद पवार ने बावनकुले पर साधा निशानाजारांगे ने इस साल सितंबर में इसी गांव में भूख हड़ताल की थी और मराठों को ओबीसी श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने की मांग की थी। उन्होंने सरकार को 24 अक्टूबर तक का अल्टीमेटम देते हुए अनशन वापस ले लिया था।
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