नांदेड़ अस्पताल में 24 मरीजों की मौत के मामले में डीन ने दी सफाई, कहा- 'इलाज और देखभाल में नहीं हुई लापरवाही'
महाराष्ट्र के एक सरकारी अस्पताल में 30 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच 12 नवजात शिशुओं सहित 24 लोगों की मौत होने के बाद विपक्ष लगातार राज्य सरकार को घेर रहा है। अस्पताल के डीन श्यामराव वाकोडे ने अस्पताल के खिलाफ लापरवाही के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने दावा किया है कि मृत मरीज मधुमेह लीवर फेलियर और किडनी फेलियर जैसी विभिन्न बीमारियों से पीड़ित थे।
By AgencyEdited By: Shalini KumariUpdated: Tue, 03 Oct 2023 10:17 AM (IST)
एएनआई, नांदेड। महाराष्ट्र के एक सरकारी अस्पताल में 30 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच 12 नवजात शिशुओं सहित 24 लोगों की मौत होने के बाद विपक्ष लगातार राज्य सरकार को घेर रहा है। इस बीच, डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल नांदेड़ के डीन श्यामराव वाकोडे ने मंगलवार को अस्पताल के खिलाफ लापरवाही के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने दावा किया है कि मृत मरीज मधुमेह, लीवर फेलियर और किडनी फेलियर जैसी विभिन्न बीमारियों से पीड़ित थे।
गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे मृतक मरीज
डीन श्यामराव वाकोडे ने इस बात पर जोर दिया कि दवाओं या डॉक्टरों की कोई कमी नहीं थी और मरीजों की उचित देखभाल भी की गई, लेकिन उनका शरीर इलाज के बाद भी साथ नहीं दे रहा था। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ मरीज आर्सेनिक और फास्फोरस जहर, सांप के काटने आदि से भी पीड़ित थे।
मरीजों पर इलाज का नहीं हो रहा था असर
वाकोडे ने कहा, "पिछले 24 घंटों में 24 लोगों की जान चली गई। पिछले 24 घंटों में 1-2 दिन के लगभग 12 बच्चों की मौत हो गई। ये बच्चे अलग-अलग बीमारियों से पीड़ित थे। वयस्कों में, 70 से 80 वर्ष की उम्र के बीच के 8 मरीज थे। उन्हें मधुमेह, लीवर फेलियर और किडनी फेलियर जैसी विभिन्न समस्याएं थीं।" उन्होंने कहा, "दवाओं या डॉक्टरों की कोई कमी नहीं थी। मरीजों की उचित देखभाल की जा रही थी, लेकिन उनके शरीर पर उपचार का कोई असर नहीं हुई, जिससे उनकी मौत हो गई।"यह भी पढ़ें: Nanded Hospital Deaths: 'ये सरकारी व्यवस्था की विफलता', महाराष्ट्र के अस्पताल में हुई मौतों पर बोले शरद पवार
उन्होंने कहा, "पिछले 24 घंटों में लगभग 12 बच्चों की मौत हो गई, 12 वयस्कों की भी विभिन्न बीमारियों के कारण मौत हो गई। विभिन्न कर्मचारियों के स्थानांतरण के कारण, हमारे लिए कुछ कठिनाई थी, हमें हाफकिन इंस्टीट्यूट से दवाएं खरीदनी थीं, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसके अलावा, मरीज दूर-दूर से इस अस्पताल में आते हैं और कई मरीज ऐसे थे, जिनका बजट भी खराब हो गया था।"
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