शरद पवार ने लॉन्च किया पार्टी का नया चुनाव चिन्ह, बोले- नए संघर्ष की शुरुआत और प्रेरणा होगा ये प्रतीक
राकांपा के संस्थापक शरद पवार ने शनिवार को रायगढ़ किले पर अपनी पार्टी के नए चुनाव चिन्ह का अनावरण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह चुनाव चिन्ह नए संघर्ष की प्रेरणा देगा और सरकार को जनता के लिए काम करने के लिए प्रेरित करेगा। राज्य राकांपा प्रमुख जयंत पाटिल ने कहा कि तुरहा बहादुरी जीत और लड़ने की प्रेरणा का प्रतीक है।
पीटीआई, मुंबई। राकांपा के संस्थापक शरद पवार ने शनिवार को अपने संगठन के प्रतीक 'तुरहा बजाते हुए आदमी' का अनावरण किया है। साथ ही, इसे लोगों के कल्याण के लिए एक नया संघर्ष शुरू करने और उनके उत्थान के लिए काम करने वाली सरकार की प्रेरणा बताया है।
चुनाव आयोग ने दिया शरद पवार गुट को नया नाम
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ गठबंधन करने के लिए अजित पवार के पार्टी से अलग होने के महीनों बाद, चुनाव आयोग ने हाल ही में उनके गुट को असली एनसीपी के रूप में मान्यता दी और उसे अपना प्रतीक 'वॉल क्लॉक' आवंटित किया। साथ ही, चुनाव आयोग ने शरद पवार के समूह के नाम के रूप में 'राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार' आवंटित किया।
शरद पवार ने किया चुनाव चिन्ह का अनावरण
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, चुनाव आयोग ने गुरुवार को शरद पवार के संगठन के प्रतीक के रूप में 'तुरहा बजाते हुए व्यक्ति' को आवंटित किया। प्रतीक चिन्ह का अनावरण करने के बाद रायगढ़ किले में बोलते हुए, पवार ने कहा कि तुरही उन लोगों के लिए खुशी लाएगी, जो बढ़ती मुद्रास्फीति और बेरोजगारी के कारण संघर्ष कर रहे हैं।'चुनाव चिन्ह नए संघर्ष के लिए प्रेरणा'
पवार ने कहा, "लोगों की सरकार स्थापित करने के लिए, हमें संघर्ष करने की जरूरत है और इसलिए हमें तुरही प्रतीक को मजबूत करना होगा। यह लोगों के कल्याण और उनके उत्थान के लिए काम करने वाली सरकार के लिए एक नया संघर्ष शुरू करने की प्रेरणा है।" शरद पवार ने एक ऐसी सरकार लाने के लिए अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं का समर्थन मांगा, जो आम लोगों के कल्याण और प्रगति के लिए काम करती है।
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'तुरहा बहादुरी और जीत का प्रतीक'
राज्य राकांपा प्रमुख जयंत पाटिल ने कहा कि तुरहा बहादुरी, जीत और लड़ने की प्रेरणा का प्रतीक है। उन्होंने कहा, "हम छत्रपति शिवाजी महाराज से उस किले से आशीर्वाद मांग रहे है, जहां उनका राज्याभिषेक हुआ था, जहां उन्होंने अपने जीवन के आखिरी साल बिताए थे और जहां उनकी समाधि स्थित है।"
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