विपक्षी दलों को नहीं भाया नार्वेकर को दलबदल कानून की समीक्षा समिति का अध्यक्ष बनाया जाना, सामने आई तीखी प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को दलबदल कानून की समीक्षा समिति का अध्यक्ष बनाया जाना महाराष्ट्र के विरोध दलों को नहीं भा रहा है। शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे एवं राकांपा शरद पवार गुट के नेता जीतेंद्र आह्वाड ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के 84वें सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दलबदल कानून की समीक्षा का निर्णय किया है।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को दलबदल कानून की समीक्षा समिति का अध्यक्ष बनाया जाना महाराष्ट्र के विरोध दलों को नहीं भा रहा है। शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे एवं राकांपा शरद पवार गुट के नेता जीतेंद्र आह्वाड ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
महाराष्ट्र विधानभवन में बीते शनिवार-रविवार को हुए अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के 84वें सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दलबदल कानून की समीक्षा का निर्णय किया। इसके लिए बनने वाली समिति की अध्यक्षता का दायित्व महाराष्ट्र के ही विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को सौंपा। लेकिन, लोकसभा अध्यक्ष का यह चयन महाराष्ट्र के विरोधी दलों को अच्छा नहीं लग रहा है।
नार्वेकर को जिम्मेदारी सौंपना लोकतंत्र समाप्त करने वाला कदम
शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सवाल किया है कि क्या राहुल नार्वेकर को यह जिम्मेदारी सौंपना देश में लोकतंत्र समाप्त करने वाला एक कदम माना जाना चाहिए। शिवसेना (उद्धव गुट) के ही प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने भी नार्वेकर पर तंज करते हुए कहा कि शायद उन्हें यह जिम्मेदारी इसलिए सौंपी गई होगी, क्योंकि उन्हें स्वयं दलबदल करने का काफी अनुभव है।राहुल नार्वेकर को जिम्मेदारी सौंपा जाना दुखद- आह्वाड
राकांपा शरद पवार गुट के विधायक जीतेंद्र आह्वाड ने कहा है कि राहुल नार्वेकर को यह जिम्मेदारी सौंपे जाने से बड़ी दुखद बात और क्या हो सकती है। गौरतलब है कि विरोधी दलों की यह प्रतिक्रिया इसलिए आ रही है, क्योंकि इसी महीने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना के दोनों गुटों की याचिका पर फैसला सुना चुके हैं।
नार्वेकर के निर्णय से दोनों गुट असंतुष्ट
हालांकि उन्होंने अपने फैसले में किसी गुट के किसी विधायक को अपात्र घोषित नहीं किया। लेकिन उनके इस निर्णय से दोनों ही गुट असंतुष्ट हैं और दोनों गुटों ने न्यायालय की शरण ली है। नार्वेकर ने यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सुनाया था।
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