Uddhav Thackeray Resign: यूं ही भाजपा के 'अजातशत्रु' नहीं हैं फडणवीस, पहले भी कई बार विपक्ष को चटाई धूल
Uddhav Thackeray Resign आखिरकार देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना से विधानसभा चुनाव में मिले धोखे का बदला ले ही लिया। इससे पहले भी कई बार वह विपक्ष को पटखनी दे चुके हैं। शायद इसीलिए उन्हें भाजपा का अजातशत्रु कहा जाता है।जानें- कैसा रहा है फडणवीस का राजनीतिक सफर।
By Amit SinghEdited By: Updated: Thu, 30 Jun 2022 06:22 AM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। आखिरकार देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना से विधानसभा चुनाव में मिले धोखे का बदला ले ही लिया। करीब एक सप्ताह से राजनीतिक मझधार में फंसे उद्धव ठाकरे ने बुधवार रात मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे ही दिया। इसके बाद देवेंद्र फडणवीस का एक बार फिर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठना लगभग तय माना जा रहा है। वह 31 महीने और एक सप्ताह बाद फिर से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। ये पहला मौका नहीं है जब देवेंद्र फडणवीस ने विपक्षियों को धूल चटाई है। इससे पहले भी वह कई बार इस तरह के राजनीतिक चमत्कार कर चुके हैं। आइये जानते हैं कैसा रहा है देवेंद्र फडणवीस का राजनीतिक सफर? कैसे वह मेयर से सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे?
देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadanavis) महाराष्ट्र की राजनीति का वो नाम जिन्हें चुपचाप इसी तरह बड़े उलट-फेर करने के लिए जाना जाता है। चाहे वह शरद पवार के गढ़ में सेंध लगाना हो या फिर अजीत पवार को रातों-रात अपने खेमे में शामिल करना। महाराष्ट्र का मौजूदा राजनीतिक संकट (Maharashtra Political Crisis) और उद्धव के इस्तीफे के पीछे उनकी सोची-समझी रणनीति मानी जा रही है। यही वजह है कि उद्धव सरकार (Uddhav Govt Crisis) के संकट में आते ही फडणवीस, भाजपा सरकार बनाने के लिए सक्रिय हो गए थे। इस दौरान उन्होंने कई बार दिल्ली का दौरा कर केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात की। भाजपा केंद्रीय नेतृत्व को वह महाराष्ट्र की राजनीति में आए भूचाल से पल-पल रूबरू कराते रहे। आइये जानते हैं महाराष्ट्र के पूर्ण मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कैसे आरएसएस की शाखा से महाराष्ट्र की राजनीति के शिखर तक का सफर तय किया।
आरएसएस का साथ और मोदी-शाह का भरोसा
मराठा राजनीति वाले राज्य महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के लिए शिखर तक पहुंचा आसान नहीं था। आरएसएस से उनका गहरा जुड़ाव इस सफर में काफी मददगार साबित हुआ। फडणवीस 1989 में आरएसएस की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े थे। साथ ही फडणवीस, पीएम नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के भी भरोसेमंद रहे हैं। अपने मृदभाषी स्वभाव और साफ छवि से युवा नेता फडणवीस, राज्य में पार्टी के पसंदीदा नेता बन गए। शिवसेना समेत अन्य दलों के कई नेताओं से भी उनके करीबी संबंध रहे हैं। इस तरह उन्होंने आरएसएस की शाखा से राज्य की राजनीतिक के शिखर तक का सफर तय किया।
सबसे युवा पार्षद व मेयर बनेमहाराष्ट्र के नागपुर में जन्में देवेंद्र फडणवीस का बचपन से राजनीति से नाता रहा है। उनके पिता गंगाधर राव फडणवीस, नागपुर से ही एमएलसी थे। पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए फडणवीस ने 90 के दशक में राजनीतिक में कदम रखा। 1989 में वो भाजपा युवा मोर्चा के वार्ड अध्यक्ष बने और 1990 में नागपुर भाजपा युवा मोर्चा के पदाधिकारी बन गए। 1992 में उन्होंने नागपुर के रामनगर वार्ड से पहली बार निकाय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 1994 में उन्हें भाजपा युवा मोर्चा का राज्य का उपाध्यक्ष बना दिया गया। इसी वर्ष उन्हें नागपुर नगर निगम का सबसे युवा कॉर्पोरेटर (पार्षद) चुना गया, तब उनकी आयु मात्र 22 वर्ष थी। इसके बाद 1997 में वह नागपुर के सबसे युवा मेयर चुने गए, तब उनकी उम्र महज 27 वर्ष थी। वर्ष 2001 में उन्हें भाजपा युवा मोर्चा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया।
2014 में शिवसेना के बिना बनाई सरकार2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शिवसेना ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया। बावजूद भाजपा ने राज्य की 288 में से 122 सीटों पर जीत दर्ज की। इससे पहले 2009 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को राज्य में मात्र 46 विधानसभा सीटें मिली थीं। बतौर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र फडणवीस ने जिस तरह चुनावी रणनीति तैयार की उसने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को काफी प्रभावित किया। इससे पहले भी देवेंद्र फडणवीस तीन बार (1999, 2004 व 2009) विधानसभा चुनाव जीत चुके थे, लेकिन उन्हें कभी मंत्री पद भी नहीं मिला था। 2014 में उन्होंने विधानसभा सीट जीती और सीधे मुख्यमंत्री बने। इसके बाद फडणवीस, शिवसेना को फिर अपनी शर्तों पर गठबंधन में शामिल करने में कामयाब रहे। इससे पहले कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन ने लगातार तीन बार राज्य में सरकार बनाई थी।
2014 लोकसभा में भी खिलाया कमलविधानसभा चुनावों से पूर्व लोकसभा चुनावों में भी देवेंद्र फडणवीस ने अपनी कुशल रणनीति का प्रदर्शन किया था। 16 मई 2014 को लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित हुए। इसमें भाजपा ने महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 42 पर जीत दर्ज की थी। भाजपा ने ये चुनाव शिवसेना और स्वाभिमानी शेतकारी पक्ष के साथ मिलकर गठबंधन में लड़ा था।यह भी पढ़ें -
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