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मुख्यमंत्री के 'चेहरे' को लेकर महाविकास आघाड़ी में रार, कांग्रेस-शिवसेना और NCP में किस नाम पर बनेगी बात?

Maharashtra Election शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत का कहना है कि बिना मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किए चुनाव में उतरना घातक होगा। वह चाहते हैं कि 2019 में महाविकास आघाड़ी का गठन होने के बाद जिस तरह उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना गया था और ढाई साल उनके नेतृत्व में ही सरकार चली उसी प्रकार अब विधानसभा भी उनके नेतृत्व में ही लड़ा जाना चाहिए।

By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey Updated: Fri, 09 Aug 2024 12:57 PM (IST)
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गठबंधन में मसला सीट बंटवारे से बड़ा मुख्यमंत्री पद के चेहरे का है। (फाइल फोटो)
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र के विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी (MVA) में आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरे को लेकर तकरार शुरू हो गई है। शिवसेना (यूबीटी) चाहती है कि उद्धव ठाकरे के चेहरे पर चुनाव लड़ा जाए। जबकि कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने साफ कर दिया है कि मविआ कोई चेहरा आगे करके चुनाव नहीं लड़ेगी। चुनाव में जिसकी सीटें ज्यादा आएंगी, उसका ही मुख्यमंत्री बनेगा।

उद्धव ठाकरे हाल ही में तीन दिन की दिल्ली यात्रा करके वापस लौटे हैं। इस दौरान उन्होंने वहां कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं से मुलाकात की है। माना जा रहा है कि वह मुख्यमंत्री पद की दावेदारी के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से ही दिल्ली गए थे। उनकी पार्टी ने तो उन्हें भावी मुख्यमंत्री के रूप में प्रचारित करना भी शुरू कर दिया है।

बंटवारे में कांग्रेस मिल सकती है सबसे ज्यादा सीटें

सूत्रों के अनुसार दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे एवं राकांपा (शपा) के अध्यक्ष शरद पवार से उद्धव ठाकरे की मुलाकात के दौरान सीटों के बंटवारे पर भी प्रारंभिक चर्चा हो गई है। इसमें तय हुआ है कि सीट बंटवारे के समय कांग्रेस सबसे ज्यादा, शिवसेना (यूबीटी) उससे कम, और राकांपा (शपा) तीनों में दलों में सबसे कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

लोकसभा चुनाव में मिली सीटों के आधार पर तय फॉर्मूला

संभवतः यह फॉर्मूला हाल के लोकसभा चुनाव में मिली सीटों के आधार पर तय किया जा रहा है। जिसमें कांग्रेस को 14 (एक निर्दलीय सहित), शिवसेना (यूबीटी) को नौ और राकांपा (शपा) को आठ सीटें मिली हैं।

मुख्यमंत्री पद के चेहरे का मसला सबसे बड़ा

लेकिन मसला सीट बंटवारे से बड़ा मुख्यमंत्री पद के चेहरे का है। शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता संजय राउत का कहना है कि बिना मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किए चुनाव में उतरना घातक होगा। वह चाहते हैं कि 2019 में महाविकास आघाड़ी का गठन होने के बाद जिस तरह उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना गया था, और ढाई साल उनके नेतृत्व में ही सरकार चली, उसी प्रकार अब विधानसभा भी उनके नेतृत्व में ही लड़ा जाना चाहिए।

इसलिए कांग्रेस उद्धव ठाकरे का समर्थन करे- राउत

वह तर्क देते हैं कि केंद्र में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी एवं महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे ही दो ऐसे नेता थे, जो लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह के विरुद्ध खुलकर बोलते रहे। चूंकि केंद्र की राजनीति में शिवसेना (यूबीटी) प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल गांधी का समर्थन करती है। इसलिए वह अपेक्षा करती है कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस भी उद्धव ठाकरे का समर्थन करे।

कांग्रेस संजय राउत के तर्क से सहमत नहीं

लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें लेकर आनेवाली कांग्रेस संजय राउत के इस तर्क से सहमत नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने साफ कह दिया है कि जब हम चुनाव में उतरते हैं, तो किसी का चेहरा पेश कर नहीं उतरते। किसी को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश करने की जरूरत भी नहीं है। क्योंकि हम महाविकास आघाड़ी के घोषणापत्र को सामने रखकर चुनाव लड़ेंगे। ऐसी परंपरा रही है कि चुनाव में जिसकी सीटें ज्यादा आती हैं, उसका मुख्यमंत्री बनता है।

बता दें कि पृथ्वीराज चव्हाण 1995 में बनी शिवसेना-भाजपा एवं 1999 में बनी कांग्रेस-राकांपा की सरकारों के फॉर्मूले को याद करते हुए ही यह बात कह रहे हैं।

कांग्रेस को चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें आने की उम्मीद

कांग्रेस को उम्मीद है कि जैसे लोकसभा चुनाव में उसकी सीटें अपने दोनों सहयोगी दलों से ज्यादा आई हैं, उसी तरह मिलकर लड़े तो विधानसभा चुनाव में भी उसी की सीटें ज्यादा आएंगी। ऐसी स्थिति में वह अभी से मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा छोड़ने की स्थिति नहीं पैदा करना चाहती। दूसरी ओर मविआ का तीसरा घटक राकांपा (शपा) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल मुख्यमंत्री पद के चेहरे के सवाल को ही यह कहकर टाल जाते हैं कि पहले भाजपा नीत गठबंधन महायुति से पूछिए कि उनका मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन है?

शरद पवार ने उद्धव ठाकरे का नाम किया था आगे

यहां यह याद करना प्रासंगिक होगा कि 2019 में जब शिवसेना ने भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस-राकांपा के साथ आने का फैसला किया था, तो राकांपा नेता शरद पवार ने बिना शर्त उद्धव ठाकरे को पूरे पांच साल के लिए मुख्यमंत्री बनाने की सिफारिश कांग्रेस से की थी। तब उनका कहना था कि ऐसा करके ही तीन दलों की स्थिर सरकार दी जा सकती है। शिवसेना (यूबीटी) को उम्मीद है कि इस बार भी शरद पवार कांग्रेस पर दबाव डालकर उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में पेश करने के लिए मना लेंगे।

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