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'बागियों को वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता', पार्टी छोड़ने वाले नेताओं को उद्धव और शरद की दो टूक

Maharashtra लोकसभा चुनाव में शिवसेना शिंदे गुट और एनसीपी अजीत पवार गुट के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद लगातार अटकलें लगाई जा रही थीं कि इन दलों के नेता उद्धव और शरद पवार के गुटों में वापस जा सकते हैं। हालांकि उद्धव और शरद ने कहा कि बागी नेताओं को वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता है। जानिए पूरा मामला...

By Agency Edited By: Sachin Pandey Updated: Sat, 15 Jun 2024 06:13 PM (IST)
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दोनों नेताओं ने कहा कि बागियों को वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता है। (File Image)

पीटीआई, मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और राकांपा (SP) सुप्रीमो शरद पवार ने पार्टी छोड़कर दूसरे गुटों में शामिल होने वाले नेताओं को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि बागियों को पार्टी में वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता।

गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद जून 2022 में शिवसेना विभाजित हो गई थी। वहीं पिछले साल जुलाई में आठ विधायकों के साथ अजीत पवार के राज्य सरकार में शामिल होने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी दो गुटों में टूट गई थी। हालांकि, लोकसभा चुनाव में उद्धव और शरद गुट की ही पार्टियो ने बेहतर प्रदर्शन किया, जिसके बाद से अटकलें लगाई जा रही हैं कि प्रतिद्वंद्वी गुटों के कुछ नेता वापस लौटना चाहते हैं।

'कोई सवाल ही नहीं'

लोकसभा नतीजे घोषित होने के बाद शनिवार को महाविकास अघाड़ी की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में उद्धव ठाकरे और शरद पवार, दोनों ने स्पष्ट रूप से कहा कि विद्रोही नेताओं को वापस लेने का कोई सवाल ही नहीं है। हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में पारनेर विधायक नीलेश लंके अजित पवार गुट से शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट में चले गए थे और अहमदनगर से मौजूदा भाजपा सांसद सुजय विखे पाटिल को हराकर जीत हासिल की थी।

एनडीए का प्रदर्शन रहा खराब

इसी तरह, बजरंग सोनावणे ने भी अजीत पवार के नेतृत्व वाली राकांपा छोड़ दी और राकांपा (SP) के टिकट पर बीड से लोकसभा चुनाव लड़ा। उन्होंने राज्य की पूर्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता पंकजा मुंडे को हराया। दूसरी ओर, राज्य में भाजपा की सीटें 2019 के मुकाबले 23 से घटकर इस बार नौ हो गईं, जबकि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजीत पवार की राकांपा को क्रमशः सात और एक सीट पर जीत से संतोष करना पड़ा।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार 9 जून को नरेंद्र मोदी सरकार के शपथ ग्रहण के बाद कथित तौर पर सत्तारूढ़ भाजपा के सहयोगी दल एनसीपी और शिवसेना के भीतर बेचैनी है। अजीत पवार गुट को स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्य मंत्री का एक पद देने के लिए कहा गया था, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया। वहीं, सात सांसदों वाली शिंदे के नेतृत्व वाली सेना के केवल एकमात्र सांसद प्रतापराव जाधव को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में केंद्र सरकार में शामिल किया गया था।

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