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Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए सियासी सरगर्मियां तेज, लोकसभा चुनाव में भारी नुकसान के बाद BJP बदल रही रणनीति

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए सभी दलों ने अपनी कमर कस ली है। विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियां ज्यादा से ज्यादा सीट पाने की कोशिश कर रही है। इसी कड़ी में भाजपा के शीर्ष नेताओं ने आज डैमेज कंट्रोल के लिए अहम बैठक बुलाई। बैठक में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की तैयारियों का जायजा लिया।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Updated: Thu, 18 Jul 2024 08:30 PM (IST)
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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। इस साल अक्टूबर में होने की संभावना है।
पीटीआई, मुंबई। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की तैयारियों का जायजा लिया। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री यादव और रेल मंत्री वैष्णव महाराष्ट्र में पार्टी के क्रमशः प्रभारी और सह-प्रभारी हैं।

इस महीने हो सकता है चुनाव

पार्टी सूत्रों ने बताया कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज्य इकाई के प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले समेत राज्य भाजपा की कोर कमेटी के सदस्य मौजूद थे। उन्होंने बताया कि दोनों केंद्रीय मंत्री शुक्रवार को भी मुंबई में रहेंगे। सूत्रों ने बताया कि 21 जुलाई को पुणे में राज्य भाजपा का सम्मेलन होगा, जिसमें केंद्रीय मंत्री अमित शाह मौजूद रहेंगे। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव इस साल अक्टूबर में होने की संभावना है।

बता दें कि हाल के लोकसभा चुनावों में, महाराष्ट्र में भाजपा की सीटों की संख्या 2019 में 23 से घटकर मात्र 9 रह गई, जिसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली उसकी सहयोगी शिवसेना ने 7 सीटें हासिल कीं और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी सिर्फ एक निर्वाचन क्षेत्र में जीत हासिल करने में सफल रही।

अजित पवार पर फोड़ा हार का ठीकरा

इसके विपरीत, शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (शरदचंद्र पवार) और कांग्रेस से मिलकर बनी विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने प्रभावशाली प्रदर्शन किया और सामूहिक रूप से 48 में से 30 सीटें जीतीं। आरएसएस से जुड़े मराठी साप्ताहिक 'विवेक' द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में लोकसभा चुनावों में भगवा पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी से हाथ मिलाने के भाजपा के कदम को जिम्मेदार ठहराया गया।

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