Move to Jagran APP

Maharashtra Politics: सामना में शिंदे गुट को बताया चोरों के गिरोह की पार्टी, विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर पर साधा गया निशाना

Maharashtra Politics उद्धव ठाकरे की पार्टी ने सामना के जरिए विधानसभा अध्यक्ष पर हमला बोला है। पार्टी ने आरोप लगाया कि एक चोरों के गिरोह को मान्यता देकर संविधान को कुचल दिया गया है। शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना के संपादकीय में सत्तारूढ़ भाजपा पर भी निशाना साधते हुए कहा गया है कि राज्य के लोग इसके पीछे के खेल करने वालों को माफ नहीं करेंगे।

By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Thu, 11 Jan 2024 01:48 PM (IST)
Hero Image
Maharashtra Politics शिवसेना को लेकर बवाल जारी।
एजेंसी, मुंबई। Maharashtra Politics शिवसेना (यूबीटी) ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी को 'असली' शिवसेना की मान्यता देने पर महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर पर निशाना साधा है। उद्धव ठाकरे की पार्टी ने आरोप लगाया कि ''चोरों के गिरोह' को मान्यता देकर संविधान को कुचल दिया गया है।  

भाजपा पर भी साधा निशाना

शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में सत्तारूढ़ भाजपा पर भी निशाना साधते हुए कहा गया है कि राज्य के लोग इसके पीछे के खेल करने वालों को माफ नहीं करेंगे।

शिंदे गुट को मिली बड़ी राजनीतिक जीत

सांसद संजय राउत ने दावा किया कि नार्वेकर को न्याय करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन उन्होंने शिंदे के वकील के रूप में काम किया। शिंदे के लिए एक बड़ी राजनीतिक जीत में नार्वेकर ने माना कि जून 2022 में प्रतिद्वंद्वी समूहों के उभरने पर उनके नेतृत्व वाला शिवसेना गुट "असली राजनीतिक दल" था और उन्होंने दोनों खेमों के किसी भी विधायक को अयोग्य नहीं ठहराया।

एकनाथ शिंदे का बढ़ा कद

बता दें कि विद्रोह के 18 महीने बाद एकनाथ शिंदे ने शीर्ष पद पर अपनी जगह पक्की कर ली और लोकसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ गठबंधन में उनकी राजनीतिक ताकत बढ़ गई, जिसमें भाजपा और राकांपा (अजित पवार समूह) भी शामिल हैं।

सामना में कहा गया है कि स्पीकर का आदेश पहले से तय था और इसमें चौंकने वाली कोई बात नहीं है। मराठी दैनिक ने कहा कि स्पीकर के लंबे फैसले को दिल्ली में उनके आकाओं ने लिखा था।

महाराष्ट्र के साथ बेईमानी 

इसमें आरोप लगाया गया कि बाल ठाकरे की शिव सेना को "गद्दारों" को सौंपने का स्पीकर का फैसला महाराष्ट्र के साथ बेईमानी में शामिल होने के समान है।

संपादकीय में कहा गया है कि नार्वेकर के पास इतिहास रचने का मौका था, लेकिन उन्होंने ऐसा फैसला दिया, जिसने लोकतंत्र का चेहरा 'काला' कर दिया है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।