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मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर महाविकास आघाड़ी में रार, क्या उद्धव ठाकरे के नाम पर बनेगी सहमति?

Maharashtra Politics महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी में मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरे को लेकर तकरार शुरू हो गई है। उद्धव बनाम अनाम सीएम को लेकर घटक दलों में खींचतान हो गई है। शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता संजय राउत का कहना है कि बिना मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किए चुनाव में उतरना घातक होगा।

By Jagran News Edited By: Sonu Gupta Updated: Fri, 09 Aug 2024 08:08 PM (IST)
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महाराष्ट्र के विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी में सीएम के चेहरे को लेकर रात। फाइल फोटो।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र के विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी (मविआ) में आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरे को लेकर तकरार शुरू हो गई है। शिवसेना (यूबीटी) चाहती है कि उद्धव ठाकरे के चेहरे पर चुनाव लड़ा जाए, जबकि कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने साफ कर दिया है कि मविआ कोई चेहरा आगे करके चुनाव नहीं लड़ेगी। चुनाव में जिसकी सीटें ज्यादा आएंगी, उसका ही मुख्यमंत्री बनेगा।

महाविकास आघाड़ी में शुरू हुई खींचतान

उद्धव बनाम 'अनाम' सीएम को लेकर घटक दलों में खींचतान हो गई है। उद्धव ठाकरे तीन दिन की दिल्ली यात्रा करके वापस लौटे हैं। उन्होंने वहां कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं से मुलाकात की। वह मुख्यमंत्री पद की दावेदारी के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से ही दिल्ली गए थे। उनकी पार्टी ने तो उन्हें भावी मुख्यमंत्री के रूप में प्रचारित करना भी शुरू कर दिया।

क्या होगा सीट बंटवारे का फॉर्मूला?

सूत्रों के अनुसार दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे एवं राकांपा (शपा) के अध्यक्ष शरद पवार से उद्धव ठाकरे की मुलाकात के दौरान सीटों के बंटवारे पर भी प्रारंभिक चर्चा हुई। इसमें तय हुआ कि सीट बंटवारे के समय कांग्रेस सबसे ज्यादा, शिवसेना (यूबीटी) उससे कम और राकांपा (शपा) सबसे कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

संभवत: यह फॉर्मूला हाल के लोकसभा चुनाव में मिली सीटों के आधार पर तय किया जा रहा है। इसमें कांग्रेस को 14 (एक निर्दलीय सहित), शिवसेना (यूबीटी) को नौ और राकांपा (शपा) को आठ सीटें मिली हैं, लेकिन मसला सीट बंटवारे से बड़ा मुख्यमंत्री पद के चेहरे का है।

संजय राउत ने कर दिया ये बड़ा एलान

शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता संजय राउत का कहना है कि बिना मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किए चुनाव में उतरना घातक होगा। वह तर्क देते हैं चूंकि केंद्र की राजनीति में शिवसेना (यूबीटी) प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल गांधी का समर्थन करती है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस भी उद्धव ठाकरे का समर्थन करे।

कांग्रेस इस बात से नहीं है सहमत

लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें लेकर आने वाली कांग्रेस संजय राउत के इस तर्क से सहमत नहीं है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने साफ कहा है कि जब हम चुनाव में उतरते हैं, तो किसी का चेहरा पेश कर नहीं उतरते। किसी को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश करने की जरूरत भी नहीं है। क्योंकि हम महाविकास आघाड़ी के घोषणापत्र को सामने रखकर चुनाव लड़ेंगे। चुनाव में जिसकी सीटें ज्यादा आती हैं, उसका मुख्यमंत्री बनता है।

बता दें कि पृथ्वीराज चव्हाण 1995 में बनी शिवसेना-भाजपा एवं 1999 में बनी कांग्रेस-राकांपा की सरकारों के फार्मूले को याद करते हुए ही यह बात कह रहे हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि जैसे लोकसभा चुनाव में उसकी सीटें अपने दोनों सहयोगी दलों से ज्यादा आईं, उसी तरह विधानसभा चुनाव में भी उसी की सीटें ज्यादा आएंगी। वह अभी से मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा छोड़ने की स्थिति नहीं पैदा करना चाहती।

शरद पवार की की पार्टी ने क्या कहा?

मविआ का तीसरा घटक राकांपा (शपा) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल मुख्यमंत्री पद के चेहरे के सवाल को ही यह कहकर टाल जाते हैं कि पहले भाजपा नीत गठबंधन महायुति से पूछिए कि उनका मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन है? यहां यह याद करना प्रासंगिक होगा कि 2019 में जब शिवसेना ने भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस-राकांपा के साथ आने का फैसला किया था, तो राकांपा नेता शरद पवार ने बिना शर्त उद्धव ठाकरे को पूरे पांच साल के लिए मुख्यमंत्री बनाने की सिफारिश कांग्रेस से की थी।

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