महाराष्ट्र चुनाव से पहले MVA में दरार! सीट शेयरिंग को लेकर गठबंधन में घमासान; उद्धव ने दी चेतावनी
Maharashtra Politics महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले सीट शेयरिंग को लेकर महा विकास अघाड़ी के सहयोगी दलों में तलवारें खिंच गई हैं। शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने यहां तक कह दिया कि महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता निर्णय लेने में सक्षम नहीं है। हालात बिगड़ता देख उद्धव ठाकरे बचाव में आए और नसीहत देते हुए कहा कि परिस्थिति को टूटने की कगार पर नहीं पहुंचने देना चाहिए।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे पर दोनों प्रमुख गठबंधनों में घमासान मचा हुआ है। कई दलों में भगदड़ जैसा माहौल है, तो विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी में शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस में तकरार शुरू हो गई है।
दावा किया जा रहा है कि महाविकास आघाड़ी में 260 से अधिक सीटों पर सहमति बन गई है, लेकिन इसी के साथ कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) में कुछ सीटों को लेकर अनबन भी दिखाई दे रही है। बात यहां तक पहुंच गई है कि शिवसेना (यूबीटी) के नेता अब सीट बंटवारे के लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले से बात भी नहीं करना चाहते।
(नाना पटोले, शरद पवार एवं उद्धव ठाकरे। File Photo)
उद्धव ठाकरे की अपील
शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा है कि मामले को इतना भी मत तानिए कि गठबंधन ही टूट जाए। जबकि उनके सहयोगी संजय राउत ने कहा है कि अब सीट बंटवारे के लिए वह प्रदेश के नेताओं से बात ही नहीं करेंगे, क्योंकि वह सीट बंटवारे पर बातचीत करने के लिए सक्षम ही नहीं हैं।
राउत ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में कांग्रेस के महासचिव के सी वेणुगोपाल एवं मुकुल वासनिक तथा प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी रमेश चेन्निथला से बात की है। इसके अलावा हम राहुल गांधी से भी बात करेंगे, क्योंकि समय कम रह गया है और लंबित फैसलों पर निर्णय होना चाहिए।
(File Image)
बांद्रा की सीट पर दोनों दलों की दावेदारी
बता दें कि शिवसेना ने बांद्रा (पूर्व) की सीट पर अपना उम्मीदवार तय कर लिया है। वह इस सीट पर अपने युवा सेना के प्रमुख वरुण सरदेसाई को उतारना चाहती है। वह उद्धव ठाकरे के रिश्तेदार भी हैं। इस सीट पर 2019 में भी शिवसेना एवं कांग्रेस की ही टक्कर हुई थी। उसी आधार पर ये दोनों दल इस बार भी अपना-अपना दावा ठोंक रहे हैं।
पिछली बार कांग्रेस के जीशान सिद्दीकी ने शिवसेना उम्मीदवार को हराया था। फिलहाल उन्हें कांग्रेस से निकाला जा चुका है और उन्हें राकांपा (अजीत) से टिकट मिलने की पूरी संभावना है। इसके अलावा कई और मुस्लिम बहुल सीटों पर कांग्रेस इस बार शिवसेना के लिए अपनी सीट नहीं छोड़ना चाहती, लेकिन शिवसेना दबंगई दिखाकर वो सीटें हासिल करना चाहती है।
कांग्रेस नहीं मारना चाहती पैर पर कुल्हाड़ी
लोकसभा चुनाव में भी शिवसेना ने उत्तर-पश्चिम मुंबई, उत्तर-मध्य मुंबई और सांगली की सीटों पर पहले ही अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए थे। इनमें से सिर्फ उत्तर-मध्य की सीट से ही वह जीत सकी, बाकी दोनों सीटें वह हार गई थी। कांग्रेस विधानसभा चुनाव में शिवसेना की यह दबंगई स्वीकार नहीं करना चाहती। खासतौर से मुस्लिम बहुल सीटों पर वह शिवसेना (यूबीटी) को वॉकओवर देकर अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी नहीं मारना चाहती, क्योंकि लोकसभा चुनाव में कम सीटों पर लड़कर भी उसका जीत प्रतिशत शिवसेना (यूबीटी) के बेहतर रहा है।
विधानसभा चुनाव में महाविकास आघाड़ी के बड़े नेता शरद पवार कई बार कह चुके हैं कि जिस दल की सीटें ज्यादा आएंगी, उसी का मुख्यमंत्री बनेगा। कांग्रेस इस फॉर्मूले के आधार पर पहले ही शिवसेना (यूबीटी) के आगे हथियार डालकर अपनी सीटें कम नहीं करवाना चाहती। वह महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में 10 वर्ष बाद मुख्यमंत्री बनने का अपना रास्ता सीट बंटवारे में ही अवरुद्ध नहीं कर देना चाहती।