MVA को लग सकते हैं और बड़े झटके, महायुति ने विधायकों को लुभाने की कवायद की शुरू; NCP ने तो न्योता भी दिया
Maharashtra Election results महाराष्ट्र में एमवीए को झटका देने के बाद अब महायुति के नेता उनके विधायकों को अपने पाले में लाने की कोशशि में लग गए हैं। अजित पवार के ज्येष्ठ पुत्र पार्थ पवार द्वारा अपने एक्स हैंडल पर डाले गए एक संदेश से लग रहा है कि महाविकास आघाड़ी के विधायकों को लुभाने की कवायद अभी से शुरू हो गई है।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। Maharashtra Election results महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के ज्येष्ठ पुत्र पार्थ पवार द्वारा अपने एक्स हैंडल पर डाले गए एक संदेश से लग रहा है कि महाविकास आघाड़ी के विधायकों को लुभाने की कवायद अभी से शुरू हो गई है।
पार्थ पवार ने दिया पार्टी में आने का न्योता
पार्थ पवार ने रविवार को अपने एक्स हैंडल पर एक संदेश देकर अपनी पार्टी की जीत के लिए मतदाताओं एवं कार्यकर्ताओं का आभार जताया। साथ ही बिना किसी दल का नाम लिए नवनिर्वाचित विधायकों को अपने दल में आने का न्योता भी दे दिया। पार्थ ने लिखा कि जिन विधायकों को अजित पवार के नेतृत्व में भरोसा है, उनका राकांपा में स्वागत है। हम साथ मिलकर राज्य के कल्याण के लिए काम कर सकते हैं।
कोई नहीं होगा विपक्ष का नेता
अजित पवार की राकांपा को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 41 सीटें मिली हैं, जबकि उनके चाचा शरद पवार की पार्टी राकांपा (शरदचंद्र पवार) को सिर्फ 10 सीटें मिली हैं। इस बार महाराष्ट्र विधानसभा में कोई नेता विपक्ष भी नहीं होगा, क्योंकि 288 सदस्यों वाले सदन में मविआ के किसी दल को 10 प्रतिशत सीटें नहीं मिली हैं।महाराष्ट्र विधानसभा में मान्यता प्राप्त विपक्षी दल का दर्जा हासिल करने के लिए उसके पास कम-से-कम 29 सीटें होनी चाहिए।
टूट की संभावना भी बढ़ी
बता दें कि इस चुनाव में विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी को कुल 49 सीटें ही हासिल हुई हैं। इनमें शिवसेना (यूबीटी) को 20, कांग्रेस को 16 एवं राकांपा (शरदचंद्र पवार) को सिर्फ 10 सीटें मिली हैं। सभी दलों की विधायक संख्या कम होने के कारण उनमें टूट की संभावना भी बढ़ गई है।कांग्रेस-शिवसेना (यूबीटी) विधायकों को भी मिल सकता न्योता
नवनिर्वाचित विधायकों को जो न्योता पार्थ पवार ने खुलेआम एक्स हैंडल पर लिखकर दे दिया है, उस तरह के न्योते कांग्रेस या शिवसेना (यूबीटी) को लुकेछिपे भी दिए जा सकते हैं। महाराष्ट्र में ज्यादातर विधायकों के अपने व्यवसाय होते हैं। इसलिए वे सत्तापक्ष के निकट रहना पसंद करते हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति में ढाई साल पहले इन्हीं परिस्थितियों में पार्टियों में बगावत एवं टूट की प्रक्रिया शुरू हुई थी और शिवसेना व राकांपा को टूट का सामना करना पड़ा था। 15वीं विधानसभा के कार्यकाल में वह स्थिति अभी से पैदा होने की संभावना बनने लगी है, क्योंकि पांच वर्ष तक सत्ता से दूर रह पाना विधायकों के लिए आसान नहीं होगा।
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