'MVA को पहले 25 लोकसभा सीटों पर करनी चाहिए चर्चा', महाराष्ट्र के सीट-शेयरिंग फॉर्मूले पर बोले अजित पवार
अजीत पवार ने कहा कि एमवीए के सहयोगियों को राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से 25 पर चर्चा करनी चाहिए क्योंकि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने 2019 के चुनावों में 18 सीटें हासिल की थीं। एमवीए सहयोगियों में शिवसेना (यूबीटी) कांग्रेस और एनसीपी शामिल हैं।
By AgencyEdited By: Vinay SaxenaUpdated: Tue, 23 May 2023 06:03 PM (IST)
मुंबई, एएनआई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार के महा विकास अघाड़ी (एमवीए) को लेकर हाल ही में दिए गए बयान को लेकर महाराष्ट्र में इस गठबंधन के भविष्य को लेकर कयासों का दौर जारी है। इसे लेकर अब शरद पवार के भतीजे और एनसीपी नेता अजित पवार का बयान सामने आया है।
अजीत पवार ने कहा कि एमवीए के सहयोगियों को राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से 25 पर चर्चा करनी चाहिए, क्योंकि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने 2019 के चुनावों में 18 सीटें हासिल की थीं। एमवीए सहयोगियों में शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और एनसीपी शामिल हैं।
'मैं स्टांप पेपर पर लिखकर दे सकता हूं...'
अजित पवार ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "पहले हमें 48 सीटों में से 25 खाली सीटों पर चर्चा करनी चाहिए, बाद में बाकी 23 पर चर्चा की जा सकती है।" अजित पवार ने एमवीए को लेकर एक सवाल के जवाब में कहा, ''गठबंधन में एकजुटता बरकरार है। हर किसी को ये अधिकार है कि वो अपने विचार, अपनी बात रख सकता है। महा विकास अघाड़ी में शीर्ष स्तर पर लिया गया निर्णय ही अंतिम होता है। मैं स्टांप पेपर पर लिखकर दे सकता हूं कि एमवीए रहेगा और हम साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे।शरद पवार ने क्या कहा था?
इससे पहले, लोकसभा चुनावों के लिए एमवीए भागीदारों के बीच सीटों के बंटवारे के बारे में बोलते हुए एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने कहा था कि शिवसेना नेता (यूबीटी गुट) उद्धव ठाकरे और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी या मल्लिकार्जुन खरगे और वह खुद तय करेंगे। उन्होंने कहा, "सीट बंटवारे पर अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है। मेरे आवास पर एक बैठक हुई थी, जहां इस बात पर चर्चा हुई थी कि तीनों दलों (एमवीए के) के नेता इस पर फैसला करेंगे। उद्धव ठाकरे, सोनिया गांधी या कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे और वह खुद इस पर चर्चा करने के लिए साथ बैठेंगे।
2019 के विधानसभा चुनावों में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन शिवसेना और भाजपा ने संयुक्त रूप से चुनाव लड़ा था। बीजेपी को 23 और तत्कालीन शिवसेना को 18 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को 4 सीटें मिली थीं। शिवसेना नवंबर 2019 में एनसीपी के साथ गठबंधन सरकार बनाने के लिए एनडीए गठबंधन से बाहर हो गई थी।
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