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Maharastra: नाबालिग लड़के के साथ यौन संबंध बनाने के आरोप में दोषी को 10 साल की जेल, जुर्माने का भी ऐलान

महाराष्ट्र में 2016 के रेप मामले में सुनवाई हुई। POCSO अदालत के न्यायाधीश डीएस देशमुख ने 2 जुलाई को आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष ने ठाणे शहर के वाघबिल क्षेत्र के निवासी आरोपी के खिलाफ सभी आरोपों को सफलतापूर्वक साबित कर दिया है। न्यायाधीश ने यह भी निर्देश दिया कि पीड़ित को अतिरिक्त मुआवजे के लिए मामला जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) भेजा जाए।

By Agency Edited By: Shubhrangi Goyal Published: Thu, 04 Jul 2024 01:11 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jul 2024 01:11 PM (IST)
2016 में नाबालिग लड़के के साथ यौन संबंध में आरोप में दोषी गिरफ्तार (file photo)

पीटीआई, ठाणे। महाराष्ट्र की अदालत ने 2016 में एक नाबालिग लड़के के साथ यौन संबंध बनाने के आरोप में एक युवक को सजा सुनाई है। दरअसल ठाणे जिले की अदालत ने 28 साल के युवक को 10 साल जेल की सजा सुनाई है। विशेष POCSO अदालत के न्यायाधीश डीएस देशमुख ने 2 जुलाई को आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष ने ठाणे शहर के वाघबिल क्षेत्र के निवासी आरोपी के खिलाफ सभी आरोपों को सफलतापूर्वक साबित कर दिया है।

अदालत ने आरोपी पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया और यह राशि पीड़िता को मुआवजे के रूप में देने का निर्देश दिया। न्यायाधीश ने यह भी निर्देश दिया कि पीड़ित को अतिरिक्त मुआवजे के लिए मामला जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) भेजा जाए।

क्या था पूरा मामला?

 24 दिसंबर, 2016 की रात को पीड़ित, जो उस समय 11 साल का था, अपने दोस्त के घर क्रिसमस के इवेंट से लौटने के बाद अकेले घर जा रहा था। आरोपी ने उसे बीच रास्ते में पकड़ लिया और अंधेरे के बीच सड़क किनारे एक पेड़ के नीचे ले गया और उसके साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए। विशेष लोक अभियोजक संध्या एच म्हात्रे ने अदालत को इसकी जानकारी दी है। घर लौटने के बाद पीड़ित ने अपने निजी अंगों में तेज दर्द की शिकायत की। उसके माता-पिता को उसके प्राइवेट पार्ट में चोट मिली और जब पूछा गया, तो लड़के ने उन्हें घटना के बारे में बताया।

पीड़िता के माता-पिता ने दर्ज की शिकायत

पीड़िता के माता-पिता ने फिर शिकायत दर्ज की, जिसके आधार पर पुलिस ने अप्राकृतिक अपराधों के कानूनी प्रावधानों और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की। पीड़िता के कपड़ों पर लगे खून के धब्बे आरोपी के नमूनों से मैच हो रहे थे, जिसे अदालत ने उसे दोषी ठहराने के लिए एक ठोस सबूत के रूप में स्वीकार कर लिया।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। म्हात्रे ने बताया है कि आरोपी के खिलाफ मामला साबित करने के लिए पीड़िता और उसकी मां समेत कुल आठ गवाहों से पूछताछ की गई थी।

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