Maharastra News: नए नामों में शिवसेना के दोनों गुट देख रहे हैं अपनी-अपनी जीत, बता रहे कारण
Maharastra News अपने-अपने गुट को नया नाम मिलने के बाद दोनों गुट खुद को मिले नामों को अपनी जीत बताने में जुट गए हैं। उद्धव ठाकरे गुट के विधायक भास्कर जाधव का कहना है कि पहले राजनीतिक दांवपेच में जीत हमारी हुई है।
By Jagran NewsEdited By: Vinay Kumar TiwariUpdated: Mon, 10 Oct 2022 10:20 PM (IST)
मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। Maharastra News: चुनाव आयोग ने शिवसेना में दोफाड़ होने के बाद उसका पुराना नाम और चुनाव चिह्न जब्त कर दोनों गुटों को नया नाम दे दिया है। नया नाम मिलने के बाद शिवसेना के दोनों गुट अपने-अपने नए नामों को अपनी जीत बता रहे हैं।
चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट को ‘शिवसेना – उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ एवं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट को बालासाहेबांची शिवसेना’ यानी ‘बालासाहेब की शिवसेना’ नाम दिया है। उद्धव ठाकरे गुट को चुनाव चिह्न भी ‘मशाल’ मिल गया, जबकि शिंदे गुट से चुनाव चिह्न के लिए तीन और विकल्प मांगे गए हैं।
दोनों गुट खुद को मिले नामों को अपनी जीत बताने में जुटे
अपने-अपने गुट को नया नाम मिलने के बाद दोनों गुट खुद को मिले नामों को अपनी जीत बताने में जुट गए हैं। उद्धव ठाकरे गुट के विधायक भास्कर जाधव का कहना है कि पहले राजनीतिक दांवपेच में जीत हमारी हुई है। पार्टी के नए नाम में इसके संस्थापक बालासाहब ठाकरे और वर्तमान प्रमुख उद्धव ठाकरे साथ-साथ पार्टी का पुराना नाम शिवसेना भी शामिल है। हमें इस नाम का फायदा मिलेगा।
शिंदे गुट भी अपने नए नाम से प्रसन्न दिख रहा है। शिंदे गुट के विधायक एवं विधानसभा में इस गुट के मुख्य सचेतक भरत गोगावले का कहना है कि पार्टी को ‘बालासाहेबांची शिवसेना’ नाम मिलने से हम संतुष्ट हैं। हमें यही नाम चाहिए था, जो हमें मिल गया है। लोगों के मन का नाम हमें मिला है। अब हम यही नाम लेकर लोगों के बीच जाएंगे।
‘बालासाहेबांची शिवसेना’वास्तव में शिवसेना में उद्धव ठाकरे से अपनी राह अलग करने के बाद से ही वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने गुट को बालासाहेब ठाकरे की असली शिवसेना बताते आ रहे हैं। अब ‘बालासाहेबांची शिवसेना’ नाम मिलने से उनका गुट इसलिए संतुष्ट है, क्योंकि इससे उन्हें जनता के बीच जाकर यह कहने का मौका मिलेगा कि बाला साहब ठाकरे के विचारों की शिवसेना यही है।
‘शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे’शिंदे गुट नए नाम में अपना तकनीकी लाभ भी देख रहा है। वह यह कि उसकी पार्टी का नाम ‘ब’ से शुरू हो रहा है, जबकि उद्धव ठाकरे की पार्टी का नाम ‘श’ से। चुनावी प्रक्रिया में अक्सर पार्टियों का नाम वर्णानुक्रम से दिया जाता है। इस प्रकार ‘बालासाहेबांची शिवसेना’ का नाम हमेशा ‘शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ से पहले आएगा। शिंदे गुट इसे भी अपने लिए फायदे का सौदा मान रहा है।
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हालांकि उसे अभी चुनाव चिह्न नहीं मिला है। लेकिन चुनाव चिह्न को लेकर दोनों गुटों का मानना है कि अब टेलीविजन एवं इंटरनेट मीडिया के युग में चुनाव चिह्न जन-जन तक पहुंचाना कोई मुश्किल काम नहीं है। क्योंकि मुंबई में हो रहे विधानसभा के एक उपचुनाव को छोड़ दिया जाए, तो कोई बड़ा चुनाव होने में अभी वक्त है।Madhya Pradesh: MP में हुक्का बार और लाउंज पूरी तरह से बंद, नशा मुक्ति अभियान के तहत सरकार का बड़ा कदम
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