'हमने मामला साबित कर दिया', मालेगांव ब्लास्ट मामले में पीड़ित पक्ष का दावा; कोर्ट में दायर की लिखित दलील
Malegaon Blast Case 2008 मालेगांव विस्फोट मामले में पीड़ित परिवार के वकीलों ने एनआईए की स्पेशल कोर्ट में लिखित दलीलें दायर की हैं जिसमें उन्होंने कहा है कि अभियोजन पक्ष की ओर से संदेह से अधिक मामला साबित कर दिया गया है। गौरतलब है कि काफी सालों से यह केस एनआईए की कोर्ट में चल रहा है लेकिन अब तक फैसला नहीं आया है।
एजेंसी, मुंबई। महाराष्ट्र के मालेगांव विस्फोट मामले में सोमवार को हस्तक्षेपकर्ताओं (विस्फोट में मृतकों के परिवारों) के वकीलों ने लिखित दलीलें दायर की। उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने संदेह से अधिक मामला साबित कर दिया है, ऐसे में उन्होंने मांग की कि आरोपियों को अधिकतम सजा दी जाए।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार अभियोजन पक्ष के वकीलों ने विशेष एनआईए अदालत के समक्ष उपस्थित होकर धारा 301 (2) के तहत अपनी लिखित दलीलें दायर कीं और अदालत से प्रार्थना की कि अभियोजन पक्ष ने उचित संदेह से परे अपना मामला साबित कर दिया है, इसलिए आरोपी को अधिकतम सजा दी जा सकती है।
Malegaon Blasts 2008 Trial Court | Today Adv. Sharif Shaikh and Adv. Shahid Nadeem both appearing for Intervenors (Families of the deceased in the blast) filed their written arguments u/s 301(2) before the special NIA court and prayed to the court that the prosecution has proved…
— ANI (@ANI) October 21, 2024
2008 में हुआ था ब्लास्ट
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के मालेगांव में सितंबर 2008 में धमाका हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज़्यादा लोग घायल हो गए थे। इस घटना को 16 साल बीत चुके हैं और इस मामले में मुकदमा अब लगभग अंतिम चरण में पहुंच गया है। अभियोजन पक्ष ने मामले में अपनी अंतिम दलीलें पेश कर दी हैं। हालांकि, पीड़ितों और अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों के लिए यह न्याय की लंबी लड़ाई रही है।घटना के तहत 29 सितंबर, 2008 को उत्तरी महाराष्ट्र के मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल पर बंधे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, भाजपा नेता प्रज्ञा ठाकुर, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मुकदमा चल रहा है।
एनआईए को सौंपी गई थी जांच
महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते ने मामले की जांच शुरू की थी, लेकिन 2011 में इसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया गया। पीड़ित पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता शाहिद नदीम ने सितंबर में पीटीआई से कहा था, 'आखिरकार मुकदमा खत्म होने वाला है और हम उम्मीद कर सकते हैं कि अदालत जल्द ही इसे समाप्त कर देगी।'उन्होंने कहा था कि न्याय की तलाश में पीड़ितों ने हस्तक्षेप किया है और आरोपियों की रिहाई और जमानत की अर्जी का विरोध किया है, लेकिन मामले में एटीएस की रुचि की कमी उनकी सबसे बड़ी चिंता रही है। विस्फोट में अपने बेटे सईद अजहर को खोने वाले निसार अहमद ने मुकदमे की धीमी प्रगति पर अपनी पीड़ा व्यक्त की थी, लेकिन कहा कि उन्हें अदालत पर भरोसा है। अहमद ने कहा कि मुकदमा 16 साल तक चला, क्योंकि कथित आरोपी प्रभावशाली व्यक्ति थे। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि किसी को भी इसे हल्के में न लेने दिया जाए और पीड़ितों के हित में मामले के जल्द निपटारे पर जोर दिया।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।