Move to Jagran APP

प्रज्ञा और पुरोहित पर चलेगा मुकदमा

अदालत ने तीन आरोपियों प्रवीण टाकलकी, श्यामलाल शाहू एवं शिवनारायण कालसंगरा को विस्फोटकांड से बरी कर दिया है।

By BabitaEdited By: Updated: Thu, 28 Dec 2017 02:22 PM (IST)
Hero Image
प्रज्ञा और पुरोहित पर चलेगा मुकदमा
मुंबई, राज्य ब्यूरो। मुंबई की एक विशेष एनआइए अदालत ने मालेगांव बम विस्फोटकांड की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर एवं लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित अन्य छह आरोपियों से मकोका एवं हथियार अधिनियम की धाराएं हटा ली हैं। अब उन पर सिर्फ भारतीय दंड संहिता एवं यूएपीए की धाराओं के तहत ही मुकदमा

चलेगा।

हालांकि अदालत ने साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित, समीर कुलकर्णी, रमेश उपाध्याय एवं सुधाकर द्विवेदी की आरोपमुक्त करने की याचिका ठुकरा दी है। विशेष एनआइए अदालत के निर्देशानुसार सभी आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) की धारा 16 (आतंकी गतिविधि को अंजाम देना) एवं धारा 18 (साजिश) के तहत नए आरोप तय किए जाएंगे। इसके साथ-साथ आइपीसी की भी कुछ धाराओं में इन पर मुकदमा चलेगा। दो आरोपियों राकेश धावड़े एवं जगदीश म्हात्रे पर सिर्फ हथियार अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा चलेगा। जबकि अदालत ने तीन आरोपियों प्रवीण टाकलकी, श्यामलाल शाहू एवं शिवनारायण कालसंगरा को विस्फोटकांड से बरी कर दिया है।

मामले के ज्यादातर आरोपी जमानत पर बाहर हैं। पहले दिए गए जमानती बांड मुकदमा चलने के दौरान जारी रहेंगे। एनआइए के विशेष जज एस.डी.टेकले के अनुसार सभी आरोपियों से यूएपीए की धाराएं 17 (आतंकी गतिविधि के लिए धन  इकट़ठा करना), 20 (आतंकी संगठन का सदस्य होना) एवं 23 (आतंकी संगठन से जुड़े किसी व्यक्ति की मदद करना) भी हटा ली गई हैं।  

क्या है मकोका

एमसीओसीए (मकोका) महाराष्ट्र सरकार का एक ऐसा सख्त कानून है, जिसे पुलिस यह साबित होने

के बाद ही लागू कर सकती है कि आरोपी संगठित गिरोह का सदस्य है, और अपराध किसी आर्थिक लाभ के उद्देश्य से किया गया है। मकोका लगने वाले आरोपी के विरुद्ध पिछले 10 साल में कम से कम दो आरोपपत्र भी दाखिल होने चाहिए। मकोका के तहत आरोपी बनने पर जमानत नहीं मिलती है। मकोका आरोपी को पुलिस कम से कम 30 दिन तक अपनी हिरासत में रख सकती है।

जबकि आइपीसी के तहत यह अवधि सिर्फ 14 दिन की है। मकोका आरोपी के विरुद्ध आरोपपत्र पेश करने की अधिकतम अवधि 180 दिन रखी गई है। जबकि आइपीसी के तहत पुलिस को अधिकतम 60 दिन या 90 दिन में आरोपपत्र पेश करना होता है। बता दें कि अब उत्तर प्रदेश सरकार भी मकोका की तर्ज पर यूपीकोका कानून बनाने की तैयारी कर रही है।

यह भी पढ़ें: आदर्श घोटाले में नहीं चलेगा अशोक चह्वाण पर मुकदमा

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।