Maratha Quota: मराठा आरक्षण कानून को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती, सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों का बताया उल्लंघन
महाराष्ट्र में मराठा समाज को शिक्षा और नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाले कानून को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। यह विधेयक 20 फरवरी को महाराष्ट्र विधानमंडल में सर्वसम्मति से पारित हुआ था। मराठा समाज को आरक्षण का लाभ देने के लिए सरकार ने सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) की विशेष श्रेणी बनाई है।
मिडडे, मुंबई। महाराष्ट्र में मराठा समाज को शिक्षा और नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाले कानून को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। यह विधेयक 20 फरवरी को महाराष्ट्र विधानमंडल में सर्वसम्मति से पारित हुआ था। सरकार ने इस विधेयक को पारित कराने के लिए एक दिन का विशेष सत्र बुलाया था। मराठा समाज को आरक्षण का लाभ देने के लिए सरकार ने सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) की विशेष श्रेणी बनाई है।
याचिकाकर्ताओं ने क्या कहा?
याचिकाकर्ताओं जयश्री पाटिल और उनके पति गुणरत्न सदावर्ते जो इस मामले में वकील हैं ने जनहित याचिका में कहा है कि राज्य सरकार को आरक्षण के लिए अलग श्रेणी एसईबीसी बनाने का अधिकार नहीं है। उन्होंने इस कदम को 'संविधान की मूल संरचना को नष्ट करने वाला' करार दिया।सदावर्ते ने कहा कि महाराष्ट्र में अब कुल आरक्षण 72 प्रतिशत हो गया है जो सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है। सदावर्ते ने शुक्रवार को कहा- हमने अदालत से कानून को रद करने का आग्रह किया है। मराठों को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र देने की अधिसूचना को भी चुनौती दी गई है।
अदालत ने विभिन्न समितियों के असंवैधानिक गठन और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति को रद करने की भी मांग की। उन्होंने दावा किया कि मराठा समुदाय सामाजिक तौर पर पिछड़ा नहीं है।
मराठा कार्यकर्ता विनोद पाटिल ने दाखिल की कैविएट
मराठा आरक्षण से संबंधित पिछले मामलों में पक्षकार रहे मराठा कार्यकर्ता विनोद पाटिल ने दो दिन पहले कैविएट दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि जब हाई कोर्ट जयश्री पाटिल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करे तो विनोद पाटिल को अपना पक्ष रखने का मौका मिले।मराठा आरक्षण से संबंधित 2018 के कानून को बॉम्बे हाई कोर्ट ने वैध ठहराया था, लेकिन इसमें कटौती का सुझाव दिया था। इसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई, जिसने 2021 में हाई कोर्ट का आदेश रद कर दिया था।जरांगे पाटिल ने अपने गांव में कर्फ्यू लगाए जाने का किया विरोध
मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल महाराष्ट्र के जालना जिले में अपने गांव अंतरवाली सराती में लगाए गए कफ्र्यू का विरोध किया और इसे अन्याय करार दिया। उन्होंने एक अस्पताल में शुक्रवार को कहा कि गांव या आसपास के इलाके से किसी हिंसा की खबर नहीं है। पिछले महीने मराठों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर अपनी भूख हड़ताल खत्म करने के बाद जरांगे पाटिल का इलाज चल रहा था। उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और वह अपने गांव चले गए हैं।
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