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Mumbai: इस नेता ने 32 साल तक अपने पास रखी बाबरी मस्जिद विध्वंस की ईंट, अब तोहफे में राज ठाकरे को सौंपी

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के नेता बाला नंदगांवकर ने मंगलवार को राज ठाकरे को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ( Babri masjid in Ayodhya ) विध्वंस के बाद उनके द्वारा लाई गई एक ईंट तोहफे में दी । उन्होंने दावा किया कि मनसे प्रमुख शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे की विचारधारा के उत्तराधिकारी हैं। बता दें कि 16वीं सदी की मस्जिद को 1992 में कार सेवकों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था।

By Agency Edited By: Nidhi Avinash Updated: Tue, 06 Feb 2024 02:57 PM (IST)
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इस नेता ने 32 साल तक अपने पास रखी बाबरी मस्जिद विध्वंस की ईंट (Image: Jagran)
पीटीआई, मुंबई। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता बाला नंदगांवकर ने बाबरी मस्जिद विध्वंस की ईंट को 32 सालों तक अपने पास रखा। अब ये ईंट उन्होंने राज ठाकरे को तोहफे के रूप में दी है। उन्होंने इस ईंट को देते हुए दावा किया कि राज ठाकरे मनसे प्रमुख शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे की विचारधारा के उत्तराधिकारी हैं।

उल्लेखनीय है कि 16वीं सदी की मस्जिद को 1992 में 'कार सेवकों' द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था। नंदगांवकर ने कहा कि उन्होंने यह ईंट 32 साल से अपने पास रखी है। उन्होंने कहा कि वह 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए अयोध्या गए थे। उस दौरान कारसेवा के लिए नंदगांवकर के साथ कई शिव सेना कार्यकर्ता भी थे।

राम मंदिर का निर्माण पूरा होने के बाद देना चाहते थे ईंट

नंदगांवकर ने कहा कि बाल ठाकरे को अक्सर यह कहते हुए उद्धृत किया गया है कि अगर उनके किसी सैनिक ने ढांचे के विध्वंस में भाग लिया होता तो उन्हें गर्व होता। उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा राम मंदिर का निर्माण पूरा होने के बाद शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे को उपहार में देना चाहता था।

पूर्व विधायक ने कहा, दुख की बात है कि मंदिर वहां है लेकिन बालासाहेब हमारे साथ नहीं हैं। उन्होंने अपने पार्टी प्रमुख को ईंट उपहार में देने के बाद कहा, 'इस प्रकार, मैंने इसे राज ठाकरे को उपहार में देने का फैसला किया, जो सही मायने में बालासाहेब के विचारों को आगे बढ़ा रहे हैं। राज ठाकरे बालासाहेब की विचारधारा के उत्तराधिकारी हैं।'

राम मंदिर के वर्तमान स्थल से लाउंगा ईंट

नंदगांवकर ने कहा कि मैं स्मृति चिह्न के रूप में राम मंदिर के वर्तमान स्थल से एक ईंट घर वापस लाना चाहूंगा।अयोध्या मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा इसी साल 22 जनवरी को हुई थी। यह मंदिर के निर्माण के पहले चरण के बाद आयोजित किया गया था, जो राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद शीर्षक मुकदमे पर 2019 में एक ऐतिहासिक सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संभव हुआ। हिंदू वादियों ने तर्क दिया कि बाबरी मस्जिद का निर्माण भगवान राम के जन्मस्थान को चिह्नित करने वाले मंदिर के स्थान पर किया गया था।

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