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Ram Mandir: 'रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा एक साहसिक कार्य', मोहन भागवत बोले- भगवान के आशीर्वाद से यह काम संपन्न हुआ

मोहन भागवत ने कहा कि 22 जनवरी को रामलला का आगमन हुआ। यह साहस का काम था जो काफी संघर्ष के बाद पूरा हुआ। वर्तमान पीढ़ी सौभाग्यशाली है कि रामलला को अपने स्थान पर खड़ा हुआ देख पा रही है। वास्तव में यह इसलिए हो सका है क्योंकि इसके लिए न सिर्फ हम सभी ने काम किया बल्कि हम सभी ने कुछ अच्छे कर्म किए हैं।

By Jagran News Edited By: Jeet KumarUpdated: Tue, 06 Feb 2024 06:48 AM (IST)
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मोहन भागवत बोले- भगवान के आशीर्वाद से राम मंदिर का काम संपन्न हुआ
राज्य ब्यूरो, मुंबई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने अयोध्या के भव्य मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को एक साहसिक कार्य बताया है। उन्होंने कहा कि यह भगवान के आशीर्वाद और इच्छा के कारण ही संपन्न हो सका है।

सोमवार को पुणे जिले के आलंदी में गीता भक्ति अमृत महोत्सव में उन्होंने कहा कि भारत को कर्तव्य निभाने के लिए उठना होगा और यदि किसी भी कारण से भारत समर्थ नहीं बन पाया तो दुनिया को बहुत जल्द विनाश का सामना करना पड़ेगा। इस तरह की स्थिति बनी हुई है। दुनियाभर के बुद्धिजीवी इसे जानते हैं। वे इस पर कह और लिख रहे हैं।

साहस का काम था राम मंदिर बनना

भागवत ने कहा कि 22 जनवरी को रामलला का आगमन हुआ। यह साहस का काम था जो काफी संघर्ष के बाद पूरा हुआ। वर्तमान पीढ़ी सौभाग्यशाली है कि रामलला को अपने स्थान पर खड़ा हुआ देख पा रही है। वास्तव में यह इसलिए हो सका है, क्योंकि इसके लिए न सिर्फ हम सभी ने काम किया, बल्कि हम सभी ने कुछ अच्छे कर्म किए हैं। इसीलिए, भगवान ने हम पर अपना आशीर्वाद बरसाया और यह काम संपन्न हुआ।

संघ प्रमुख ने कहा कि रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा उनकी (भगवान की) इच्छा पूरी होने का शुरुआती बिंदु है। यह भी कहा कि समारोह के दौरान श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंददेव गिरि जी के साथ उपस्थित होना उनका सौभाग्य है। भारतवर्ष को ज्ञान प्रदान करने के लिए आगे बढ़ने की जरूरत है क्योंकि दुनिया को इसकी जरूरत है। भारत को अपना कर्तव्य निभाने के लिए उठना होगा। भारत ज्ञान और प्रकाश का रथ है। भारत के प्राचीन ज्ञान पर चर्चा बार-बार आयोजित की जानी चाहिए। वर्तमान परिदृश्य के अनुसार प्राचीन पाठ के अर्थ को बिना किसी गलती के ठीक से समझने की जरूरत है। गलत अर्थ से विनाश होता है।

समय भले ही बदल गया लेकिन ज्ञान और विज्ञान का मूल वही

उन्होंने कहा कि समय भले ही बदल गया है, लेकिन ज्ञान और विज्ञान का मूल वही है। भारत शाश्वत है, क्योंकि इसका मूल शाश्वत है। उन्होंने यह भी कहा कि अखंड भारत अविश्वास और कट्टरता की सारी दीवारों को तोड़ देगा और एक एकजुट मानवता का निर्माण कर विश्व को खुशहाल बनाएगा। आने वाला समय भारत का ही है। बता दें कि गीता परिवार द्वारा आयोजित गीता भक्ति अमृत महोत्सव आध्यात्मिक गुरु श्री गोविंददेव गिरि महाराज के 75वें जन्मदिवस पर भव्य समारोह के रूप में आयोजित किया गया था।

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