Ram Mandir: 'रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा एक साहसिक कार्य', मोहन भागवत बोले- भगवान के आशीर्वाद से यह काम संपन्न हुआ
मोहन भागवत ने कहा कि 22 जनवरी को रामलला का आगमन हुआ। यह साहस का काम था जो काफी संघर्ष के बाद पूरा हुआ। वर्तमान पीढ़ी सौभाग्यशाली है कि रामलला को अपने स्थान पर खड़ा हुआ देख पा रही है। वास्तव में यह इसलिए हो सका है क्योंकि इसके लिए न सिर्फ हम सभी ने काम किया बल्कि हम सभी ने कुछ अच्छे कर्म किए हैं।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने अयोध्या के भव्य मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को एक साहसिक कार्य बताया है। उन्होंने कहा कि यह भगवान के आशीर्वाद और इच्छा के कारण ही संपन्न हो सका है।
सोमवार को पुणे जिले के आलंदी में गीता भक्ति अमृत महोत्सव में उन्होंने कहा कि भारत को कर्तव्य निभाने के लिए उठना होगा और यदि किसी भी कारण से भारत समर्थ नहीं बन पाया तो दुनिया को बहुत जल्द विनाश का सामना करना पड़ेगा। इस तरह की स्थिति बनी हुई है। दुनियाभर के बुद्धिजीवी इसे जानते हैं। वे इस पर कह और लिख रहे हैं।
साहस का काम था राम मंदिर बनना
भागवत ने कहा कि 22 जनवरी को रामलला का आगमन हुआ। यह साहस का काम था जो काफी संघर्ष के बाद पूरा हुआ। वर्तमान पीढ़ी सौभाग्यशाली है कि रामलला को अपने स्थान पर खड़ा हुआ देख पा रही है। वास्तव में यह इसलिए हो सका है, क्योंकि इसके लिए न सिर्फ हम सभी ने काम किया, बल्कि हम सभी ने कुछ अच्छे कर्म किए हैं। इसीलिए, भगवान ने हम पर अपना आशीर्वाद बरसाया और यह काम संपन्न हुआ।संघ प्रमुख ने कहा कि रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा उनकी (भगवान की) इच्छा पूरी होने का शुरुआती बिंदु है। यह भी कहा कि समारोह के दौरान श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंददेव गिरि जी के साथ उपस्थित होना उनका सौभाग्य है। भारतवर्ष को ज्ञान प्रदान करने के लिए आगे बढ़ने की जरूरत है क्योंकि दुनिया को इसकी जरूरत है। भारत को अपना कर्तव्य निभाने के लिए उठना होगा। भारत ज्ञान और प्रकाश का रथ है। भारत के प्राचीन ज्ञान पर चर्चा बार-बार आयोजित की जानी चाहिए। वर्तमान परिदृश्य के अनुसार प्राचीन पाठ के अर्थ को बिना किसी गलती के ठीक से समझने की जरूरत है। गलत अर्थ से विनाश होता है।