Mumbai: समुद्री निगरानी के लिए हो सकती है ड्रोन की तैनाती, पिछले दिनों भारतीय सीमा क्षेत्र में पकड़े गए थे घुसपैठिए
समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ड्रोन की तैनाती हो सकती है। समुद्री निगरानी के लिए सुरक्षा एजेंसियां मुंबई और गोवा के तटीय क्षेत्रों में ड्रोन निगरानी प्रणाली को क्रियान्वित करने की योजना पर काम कर रही हैं। अधिकारियों ने रविवार को बताया कि कुवैत से तीन लोगों के गेटवे आफ इंडिया पहुंचने की हालिया घटना के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है।
पीटीआई, मुंबई। समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ड्रोन की तैनाती हो सकती है। समुद्री निगरानी के लिए सुरक्षा एजेंसियां मुंबई और गोवा के तटीय क्षेत्रों में ड्रोन निगरानी प्रणाली को क्रियान्वित करने की योजना पर काम कर रही हैं। अधिकारियों ने रविवार को बताया कि कुवैत से तीन लोगों के 'गेटवे आफ इंडिया' पहुंचने की हालिया घटना के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है।
इस घटना से तटीय सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरियां उजागर हुई हैं। अपने नियोक्ता पर दुर्व्यवहार के आरोप लगाते हुए तीन लोग -नीत्सो दिट्टो (31), विजय विनय एंथनी (29) और जेएस अनीश (29) एक नौका से भारतीय समुद्री क्षेत्र में घुसे थे। अधिकारियों के समक्ष उनके आत्मसमर्पण करने के बाद उन्हें पासपोर्ट नियमों का उल्लंघन करने को लेकर गिरफ्तार कर लिया गया।
अधिकारियों ने कहा कि उनके 'ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम' (जीपीएस) के फोरेंसिक विश्लेषण में पता चला कि तीनों ने जीपीएस उपकरण को बंद किया था। हालांकि, तीनों का दावा किया कि उन्होंने बैटरी बचाने के लिए उपकरण को बंद किया था।अधिकारियों ने देश की समुद्री सीमाओं पर निगरानी बनाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर ड्रोन का उपयोग किए जाने की हिमायत की है।
उन्होंने कहा कि हाई रिजाल्यूशन वाले कैमरों और सेंसर से लैस ड्रोन जहाजों और तटीय क्षेत्रों की फोटो खींचकर और वीडियो बनाकर सटीकता के साथ समुद्री निगरानी में मदद करेंगे। मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकी हमलों का हवाला देते हुए अधिकारियों ने तटीय निगरानी के लिए जल्द से जल्द कदम उठाने की जरूरत जताई।
इस हमले में 166 लोग मारे गए थे। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि महाराष्ट्र की 652.6 किलोमीटर लंबी तटरेखा और गोवा की 101 किमी लंबी तटरेखा पर निगरानी के लिए लंबी दूरी के ड्रोन की तैनाती जरूरी है। अधिकारियों ने पड़ोसी देशों विशेषकर पाकिस्तान से संभावित खतरों के मद्देनजर ऐसे ड्रोन की जरूरत पर जोर दिया है जो लंबी दूरी तक रात्रि में भी निगरानी करने की क्षमता से लैस हों।
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