Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Mumbai: फेक न्यूज के खिलाफ नए आइटी नियम अफसरों को देते हैं असीमित शक्ति- हाई कोर्ट

बांबे हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि इंटरनेट मीडिया पर फेक न्यूज के खिलाफ संशोधित सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) नियम दिशानिर्देशों और नियंत्रण के अभाव में सरकारी अफसरों को निरंकुश शक्ति देते हैं। नियमों के लिए कुछ दिशानिर्देश होने चाहिए। वहीं केंद्र सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया कि नए नियम स्वतंत्र अभिव्यक्ति या सरकार की आलोचना करने वाले हास्य व्यंग्य पर अंकुश लगाने के लिए नहीं हैं।

By AgencyEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Tue, 26 Sep 2023 11:10 PM (IST)
Hero Image
सरकार किसी भी प्रकार की आलोचना को रोकने की कोशिश नहीं कर रही है।

मुंबई, पीटीआई। बांबे हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि इंटरनेट मीडिया पर फेक न्यूज के खिलाफ संशोधित सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) नियम दिशानिर्देशों और नियंत्रण के अभाव में सरकारी अफसरों को निरंकुश शक्ति देते हैं। नियमों के लिए कुछ दिशानिर्देश होने चाहिए। वहीं केंद्र सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया कि नए नियम स्वतंत्र अभिव्यक्ति या सरकार की आलोचना करने वाले हास्य व्यंग्य पर अंकुश लगाने के लिए नहीं हैं।

याचिका में किया गया दावा

जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ नए आइटी नियमों के खिलाफ कामेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड आफ इंडिया और एसोसिएशन आफ इंडियन मैगजीन्स द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में नियमों को मनमाना और असंवैधानिक बताते हुए दावा किया गया कि इससे नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर भयानक प्रभाव पड़ेगा।

केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सालिसिटर ने क्या कहा?

अदालत ने यह भी जानना चाहा कि जब प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआइबी) पहले से ही इंटरनेट मीडिया पर फैक्ट चेक कर रहा है तो अलग फैक्ट चेक यूनिट (एफसीयू) के लिए संशोधन की क्या आवश्यकता है। केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा पीआइबी शक्तिहीन है। वह इस बिंदु पर बुधवार को बहस करेंगे। मेहता ने कहा, नए नियमों का उद्देश्य सरकार या यहां तक कि प्रधानमंत्री के खिलाफ स्वतंत्र अभिव्यक्ति, आलोचना या व्यंग्य पर अंकुश लगाना नहीं है।

नियमों के तहत केवल एक प्रणाली स्थापित की गई

सरकार किसी भी प्रकार की आलोचना को रोकने की कोशिश नहीं कर रही है। नियमों के तहत केवल एक प्रणाली स्थापित की गई है। संतुलन तंत्र बनाया गया है। हालांकि पीठ ने कहा कि नियम अत्यधिक व्यापक हैं। बिना किसी दिशानिर्देश के हैं। नियमों के अनुसार फैक्ट क्या है असका निर्णय बिना किसी अंकुश के सरकार को करना है। सरकार एकमात्र मध्यस्थ है।

यह भी पढ़ें- मोदी सरकार में अब तक 9 लाख से अधिक दी गईं नौकरियां, UPA ने दिया था केवल 6 लाख को रोजगार: जितेंद्र सिंह

फैक्ट चेकर (तथ्य की जांच करने वाला) की जांच कौन करेगा? जब मेहता ने दोहराया कि एफसीयू केवल फेक फैक्ट्स जांच करेगा, राय या आलोचना की नहीं, तो अदालत ने पूछा कि यह कैसे कहा जा सकता है कि सरकार का सच ही अंतिम सच है। अदालत ने यह भी कहा कि आइटी नियम में सूचना शब्द के अर्थ 'भ्रमित' करने वाले हैं। मेहता ने कहा, सरकार अपने नागरिकों की बुद्धिमत्ता पर संदेह नहीं कर रही है। लोग अपनी इच्छानुसार कुछ भी पोस्ट कर सकते हैं, सरकार की आलोचना कर सकते हैं लेकिन फर्जी, झूठे और भ्रामक तथ्यों की अनुमति नहीं दी जाएगी। सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी।

यह भी पढ़ें- हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति की देरी पर SC चिंतित, केंद्र से पूछा- सात महीने बाद भी क्यों नहीं हुआ कुछ...