Mumbai: उद्धव और शिंंदे गुट दशहरा रैली में करेंगे शक्ति प्रदर्शन, विरासत की लड़ाई में दिखाएंगे ताकत
शिव सेना (यूबीटी) और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना मंगलवार को मुंबई में अपनी दशहरा रैलियों के साथ एक बार फिर शक्ति प्रदर्शन करेगी। उद्धव ठाकरे अपने पारंपरिक आयोजन स्थल दादर के विशाल शिवाजी पार्क में अपनी पार्टी की दशहरा रैली को संबोधित करेंगे। वहीं शिंदे गुट की रैली दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में आयोजित की जाएगी।
पीटीआई, मुम्बई। शिवसेना (यूबीटी) और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना मंगलवार को मुंबई में अपनी दशहरा रैलियों के साथ एक बार फिर शक्ति प्रदर्शन करेगी।
पिछले साल जून में शिवसेना के विभाजन के बाद से, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) और शिंदे समूह खुद को संस्थापक बल का असली उत्तराधिकारी साबित करने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं।
पारंपरिक आयोजन स्थल पर होगी ठाकरे की रैली
उद्धव ठाकरे दादर के विशाल शिवाजी पार्क में अपनी पार्टी की दशहरा रैली को संबोधित करेंगे। यह पारंपरिक आयोजन स्थल है, जहां बाल ठाकरे ने चार दशकों से अधिक समय तक अपनी ओजस्वी वक्तृत्व कला से अपने कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया था। वहीं, शिंदे की रैली दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में होगी। पिछले साल की तरह, शुरुआत में इस बात पर कुछ भ्रम था कि शिवाजी पार्क में रैली आयोजित करने की मंजूरी किसे मिलेगी।
लोकसभा चुनाव से पहले अहम है रैलियां
लोकसभा चुनाव को लेकर भी दोनों रैलियां काफी महत्वपूर्ण हैं। मुंबई सहित कई शहरों में नागरिक चुनाव 2022 की शुरुआत से लंबित हैं। रैलियों के मद्देनजर, ठाकरे गुट ने कई वीडियो क्लिप जारी किए हैं, जिसमें बाल ठाकरे अपने भाषणों में दलबदलुओं के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई पर जोर दे रहे हैं। इन्हें शिवसेना (यूबीटी) कार्यकर्ताओं द्वारा व्यापक रूप से साझा किया गया है।
ठाकरे गुट रिलीज कर रही वीडियो
दूसरी ओर, अपनी रैली के बारे में शिंदे समूह के टीजर में बाल ठाकरे के भाषण हैं, जहां उन्होंने दृढ़ता से हिंदुत्व के मुद्दे का समर्थन किया है, जबकि उद्धव ठाकरे समूह ने लगातार शिंदे गुट के सदस्यों को देशद्रोही कहा है। बाद वाले का दावा है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ दिया और हिंदुत्व को छोड़कर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से हाथ मिला लिया।
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मालूम हो कि पिछले साल जून में शिंदे और कई विधायकों के विद्रोह करने और उद्धव ठाकरे की महा विकास अघाड़ी सरकार गिराने के बाद शिवसेना विभाजित हो गई थी। इसके बाद शिंदे ने भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से सरकार बनाई।
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