MLA Disqualification Case: उद्धव को मिलने वाली सहानुभूति की संभावना भी नार्वेकर ने छीनी, ठाकरे गुट के विधायकों की विधायकी बरकरार
जून 2022 में पार्टी में हुए विभाजन के बाद से ही उद्धव ठाकरे सिर्फ अपने पिता स्वर्गीय बाल ठाकरे के नाम पर मराठीभाषियों की सहानुभूति के सहारे आगे बढ़ने की रणनीति बनाते रहे हैं। यदि बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष शिवसेना शिंदे गुट की याचिका पर सुनवाई करते हुए ठाकरे गुट के 14 विधायकों को अपात्र घोषित कर देते तो इसकी पूरी सहानुभूति ठाकरे के पक्ष में जाती।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना विधायकों की अपात्रता याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए किसी भी गुट के किसी भी विधायक को अपात्र करार नहीं दिया। उनके इस फैसले से शिंदे सरकार तो स्थिर है मगर उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र की जनता से मिलने वाली सहानुभूति की संभावनाएं भी जाती रही हैं।
जून 2022 में पार्टी में हुए विभाजन के बाद से ही उद्धव ठाकरे सिर्फ अपने पिता स्वर्गीय बाल ठाकरे के नाम पर मराठीभाषियों की सहानुभूति के सहारे आगे बढ़ने की रणनीति बनाते रहे हैं। यदि बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष शिवसेना शिंदे गुट की याचिका पर सुनवाई करते हुए ठाकरे गुट के 14 विधायकों को अपात्र घोषित कर देते तो इसकी पूरी सहानुभूति ठाकरे के पक्ष में जाती, लेकिन नार्वेकर ने ऐसा न करके यह हथियार ठाकरे के हाथों से छीन लिया। वैसे उन्होंने चुनाव आयोग के सुर में सुर मिलाते हुए पार्टी पर पूरा अधिकार शिंदे गुट का ही बताने में कोई चूक नहीं की। ठाकरे गुट इससे चिढ़कर उन्हें महाराष्ट्र की पीठ में खंजर घोंपने वाला बता रहा है।
सर्वोच्च न्यायालय भी नहीं कर पाएगा उद्धव ठाकरे गुट की कोई मदद
उद्धव गुट पहले से मानकर चल रहा था कि विधानसभा अध्यक्ष का फैसला उनके पक्ष में नहीं आने वाला। इसके लिए वह पहले से ही विधानसभाध्यक्ष पर निशाना साधने में लगा हुआ था। विधानसभाध्यक्ष की मुख्यमंत्री से मुलाकातों पर सवाल उठाते हुए उसने मंगलवार को ही सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर कर दी थी। अब फैसला आने के बाद पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना करार दे रहे हैं और अपेक्षा कर रहे हैं कि सर्वोच्च न्यायालय लोकतंत्र की रक्षा के लिए इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर कोई फैसला सुनाए। वैसे अब लगता नहीं कि सर्वोच्च न्यायालय भी इस मामले में उद्धव ठाकरे गुट की कोई मदद कर पाएगा।निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार
नार्वेकर महाराष्ट्र विधानसभाध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा है कि उन्होंने विधायकों की अपात्रता पर फैसला सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार ही किया है और यह फैसला शाश्वत है। विधायकों की अपात्रता पर बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाने के बाद पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए नार्वेकर ने कहा कि उन्हें पहला फैसला शिवसेना पार्टी पर अधिकार को लेकर करना था। उसके अनुसार ही मुख्य सचेतक का फैसला होना था। मैंने वही किया है। इसके अनुसार ही शिंदे गुट का शिवसेना पार्टी पर अधिकार का फैसला हुआ और भरत गोगावले को शिवसेना ¨शदे गुट का मुख्य सचेतक चुना गया।
विधायकों को अपात्र घोषित करने की याचिका खारिज
शिवसेना यूबीटी गुट के सचेतक सुनील प्रभु की 16 विधायकों को अपात्र घोषित करने की याचिका खारिज की गई। दूसरी ओर शिंदे गुट के सचेतक भरत गोगावले द्वारा ठाकरे गुट के 14 विधायकों को अपात्र ठहराने की याचिका भी इसलिए खारिज की गई, क्योंकि गोगावले द्वारा जारी व्हिप का तरीका सही नहीं था। फैसला आने के बाद खुद पर की जा रही ठाकरे गुट की टिप्पणियों के बारे में नार्वेकर ने कहा कि उद्धव ठाकरे जल्दबाजी में फैसले को पढ़े बिना टिप्पणियां कर रहे हैं। हम किसी की टिप्पणियों पर ध्यान नहीं देते। ठाकरे गुट द्वारा उनके फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि किसी भी फैसले को किसी भी न्यायालय में चुनौती देने का अधिकार सभी को है।यह भी पढ़ें- Shiv Sena MLA Verdict: 10 प्वाइंट में जानिए स्पीकर राहुल नार्वेकर ने किस आधार पर शिंदे गुट को बताया असली शिवसेना
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