NCP Splits: परिवार और पार्टी दोनों पवार के हाथ से फिसले, भजीते अजित की बार-बार उपेक्षा करना पड़ा भारी
अजित पवार को अपनी उपेक्षा का एहसास पहली बार नहीं हुआ है। 2004 में कांग्रेस के साथ गठबंधन करके विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव लड़ी राकांपा की सीटें तब कांग्रेस से ज्यादा आई थीं। तब शरद पवार ने मनमोहन सरकार में दिल्ली की राजनीति करने का फैसला किया था। अजीत पवार को उम्मीद थी कि काका दिल्ली जाएंगे तो यहां मुख्यमंत्री पद हमें मिलेगा।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। ठीक दो महीने पहले महाराष्ट्र के सबसे बड़े नेता शरद पवार ने अपनी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का राष्ट्रीय अध्यक्ष छोड़ने की घोषणा की थी। तब पार्टी में ऐसा हाहाकार मचा था, जैसे पवार के बिना पार्टी का अस्तित्व ही नहीं रहेगा, लेकिन रविवार को उनके भतीजे अजित पवार ने ऐसा दांव खेला कि अब शरद पवार के हाथ में न तो पार्टी दिखाई दे रही है, न उनका एकजुट परिवार।
'शरद पवार ने पलटी रोटी'
दो मई को अपना पद छोड़ने की घोषणा करने से पहले पवार ने पार्टी कार्यकर्ताओं के एक सम्मेलन में यह भी कहा था कि अब रोटी पलटने का समय आ गया है। उन्होंने रोटी पलटी भी, लेकिन पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में मौका दिया अपनी बेटी सुप्रिया सुले एवं वरिष्ठ नेता प्रफुल पटेल को। वर्षों से पार्टी को जमीनी तौर पर मजबूत करते आ रहे भतीजे अजित पवार को फिर से भूल गए।
अजित पवार को अपनी उपेक्षा का एहसास पहली बार नहीं हुआ है। 2004 में कांग्रेस के साथ गठबंधन करके विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव लड़ी राकांपा की सीटें तब कांग्रेस से ज्यादा आई थीं। तब शरद पवार ने मनमोहन सरकार में दिल्ली की राजनीति करने का फैसला किया था। अजित पवार को उम्मीद थी कि काका दिल्ली जाएंगे तो यहां मुख्यमंत्री पद हमें मिलेगा।
अबतक कितनी बार उपमुख्यमंत्री बने अजित?
लेकिन पवार ने तब अपनी सीटें ज्यादा होने के बावजूद मुख्यमंत्री पद कांग्रेस को सौंप दिया था। तब से अब तक अजित पवार उपमुख्यमंत्री तो पांच बार बन चुके हैं, लेकिन उनके मुख्यमंत्री बनने की नौबत कभी नहीं आई।
चार दिन पहले शरद पवार खुद मान चुके हैं कि 2019 में शिवसेना-भाजपा के अलग होने के बाद उनकी भाजपा के साथ सरकार बनाने को लेकर बैठक हुई थी, लेकिन उन्होंने भाजपा की सत्ता लोलुपता को सबके सामने लाने के लिए बाद में समर्थन नहीं दिया।
पवार इसे अपनी 'गुगली' मानते हैं, लेकिन इस 'गुगली' से भी किरकिरी उनके भतीजे की ही हुई, जिन्हें उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद भी पद से इस्तीफा देना पड़ा।
दो मई, 2023 को भी जब शरद पवार ने अध्यक्ष पद छोड़ने की घोषणा की थी, तो इसकी जानकारी अजित पवार, सुप्रिया सुले एवं शरद पवार की पत्नी प्रतिभा पवार को थी। इसीलिए अजित पवार ने मंच से यह कहने का साहस जुटाया कि 'एक न एक दिन तो यह होना ही था'।
पवार ने वापस लिया था अपना निर्णय
सार्वजनिक रूप से ऐसा कहकर अजित पवार शरद पवार समर्थकों की निगाह में बुरे हो गए, लेकिन बाद में स्वयं शरद पवार ने अपना पद छोड़ने का निर्णय वापस ले लिया। परिवार की तीसरी पीढ़ी में भी अजित पवार अपने बेटे पार्थ को राजनीति में आगे लाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें इसका मौका नहीं मिल रहा।
जबकि शरद पवार के दूसरे भाई के पोते रोहित पवार न सिर्फ विधायक हैं, बल्कि उन्हें शरद पवार का आशीर्वाद भी मिलता दिखाई देता है। आज अजित पवार द्वारा राकांपा में किया गया विस्फोट इन्हीं घटनाक्रमों की परिणति माना जा रहा है। हालांकि, शरद पवार आज भी नहीं मान रहे कि इस राजनीतिक घटनाक्रम का उनके परिवार की एकता पर कोई असर पड़ेगा।