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J&K Election: 'यह शर्म की बात है कि...', उमर अब्दुल्ला ने Article 370 को खत्म करने पर उठाए सवाल; EC को लेकर कही ये बात

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आर्टिकल 370 को खत्म करने और राज्य में चुनाव को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 को खत्म करने के बाद से घाटी में आतंकी घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। इसके साथ ही चुनाव आयोग की आलोचना की और कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनावों की घोषणा का निर्देश चुनाव आयोग के बजाय सुप्रीम को देना पड़ा है।

By Agency Edited By: Mohd Faisal Updated: Sun, 25 Feb 2024 10:40 AM (IST)
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जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला (फाइल फोटो)
पीटीआई, मुंबई। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का निर्देश दिए जाने पर चुनाव आयोग की आलोचना की। उन्होंने कहा कि शर्म की बात है कि जम्मू-कश्मीर में चुनावों की घोषणा का निर्देश चुनाव आयोग के बजाय सुप्रीम को देना पड़ा।

जम्मू, राजौरी और पुंछ बढ़ी आतंकी घटनाएं- अब्दुल्ला

उमर अब्दुल्ला ने जिक्र किया कि यह कहना कि सही नहीं है कि जम्मू-कश्मीर की सभी समस्याओं की जड़ आर्टिकल 370 था। उन्होंने कहा कि अब उन क्षेत्रों में आतंकवादी हमले हो रहे हैं, जो पूर्व में आतंकवाद मुक्त हुआ करते थे। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से जम्मू, राजौरी और पुंछ के पर्वतीय क्षेत्रों में आतंकवादी घटनाएं बढ़ी हैं।

टारगेट किलिंग में अधिक कश्मीरी मारे गए- अब्दुल्ला

उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान दावा किया कि अतीत की तुलना में वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान घाटी में टारगेट किलिंग में अधिक कश्मीरी पंडित मारे गए हैं। अब्दुल्ला ने पूछा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई समयसीमा पर भाजपा और भारत सरकार क्या करने जा रही है?

अब्दुल्ला ने उठाए केंद्र सरकार पर सवाल

अब्दुल्ला ने कहा कि अदालत ने कहा था कि सितंबर 2024 के अंत तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह काफी शर्म की बात है कि जम्मू-कश्मीर में चुनावों की घोषणा चुनाव आयोग या भारत सरकार के बजाय सुप्रीम कोर्ट को करनी पड़ी।

'आर्टिकल 370 को खत्म करने के बाद घाटी में बढ़े हमले'

अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि घाटी में कश्मीरी पंडितों पर आतंकी हमले नियमित घटना है। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 को खत्म करने के बावजूद अलगाववादियों को समर्थन मिल रहा है और मुश्किल से एक या दो सप्ताह ऐसे गुजरते हैं, जब कोई आतंकवादी हमला नहीं होता है।

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