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Maoist Links Case: जीएन साईबाबा की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट की रोक पर फडणवीस बोले, आगे कानूनी लड़ाई लड़ेंगे

Maoist Links Case देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारी बात सुनी। आगे कानूनी लड़ाई होगी उसमे हम सारी बातें कोर्ट के सामने लाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने बांबे हाई कोर्ट के उस निर्णय को स्थगित कर दिया जिसमें जीएन साईबाबा को बरी कर दिया गया था।

By AgencyEdited By: Sachin Kumar MishraUpdated: Sat, 15 Oct 2022 04:08 PM (IST)
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जीएन साईबाबा की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट की रोक पर फडणवीस बोले, आगे कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। फोटो एएनआइ
मुंबई, एजेंसी। Maoist Links Case: माओवादी संपर्क मामले में शनिवार को जीएन साईबाबा (GN Saibaba) की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की रोक पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने कहा कि मैंने इस पर बहुत निराशा जताई थी कि टेक्निकल ग्राउंड पर इस प्रकार से समाज और देश विरोधी कार्रवाई करने वाले को छोड़ा जाना सही नहीं है।

हम सारी बातें कोर्ट के सामने लाएंगे

समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारी बात सुनी। आगे कानूनी लड़ाई होगी, उसमे हम सारी बातें कोर्ट के सामने लाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने बांबे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के उस निर्णय को स्थगित कर दिया, जिसमें माओवादियों से संबंध रखने वाले जीएन साईबाबा को बरी कर दिया गया था।

फडणवीस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत 

प्रेट्र के मुताबिक, देवेंद्र फडणवीस ने माओवादी संपर्क मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और अन्य को बरी करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को निलंबित करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का शनिवार को स्वागत किया। शीर्ष अदालत ने शनिवार को जीएन साईबाबा को उनकी विकलांगता और स्वास्थ्य स्थितियों के कारण जेल से रिहा करने और उन्हें घर में नजरबंद करने के अनुरोध को खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को इस मामले में जीएन साईबाबा और अन्य को बरी कर दिया था।

इसलिए खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

नागपुर हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बात करते हुए फडणवीस ने कहा कि मैं प्रोफेसर जीएन साईबाबा पर उच्च न्यायालय के आदेश को निलंबित करने के शीर्ष अदालत के फैसले से संतुष्ट हूं। शुक्रवार को मैंने कहा था कि उच्च न्यायालय का फैसला हमारे लिए आश्चर्यजनक और चौंकाने वाला था, क्योंकि रिहा करना तकनीकी आधार पर एक व्यक्ति जिसके खिलाफ माओवादियों की सीधे मदद करने के पर्याप्त सबूत थे। इसलिए हमने ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

नक्सली हमले के शहीदों के परिजनों को मिलेगी राहत

फडणवीस ने कहा कि वह शीर्ष अदालत के आभारी हैं, जिसने उच्च न्यायालय के आदेश को निलंबित कर दिया। हम आगे कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नक्सलियों के हमलों में शहीद हुए पुलिसकर्मियों के परिवारों को राहत मिलेगी।गिरफ्तारी के आठ साल से अधिक समय बाद बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने जीएन साईबाबा को माओवादी लिंक मामले में आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत अभियोजन के लिए वैध मंजूरी के अभाव में बरी कर दिया था। एचसी के आदेश के बाद अभियोजन पक्ष ने बरी किए जाने के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था। 52 वर्षीय जीएन साईबाबा मई, 2014 में गिरफ्तारी के बाद से नागपुर केंद्रीय जेल में बंद हैं।

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