जानें पुणे में संत तुकाराम के मंदिर और मुंबई में ‘जल भूषण’ की खासियत, जिसके उद्घाटन को महाराष्ट्र आ रहे पीएम मोदी
पुणे के देहू में उक्त मंदिर का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री मुंबई स्थित राजभवन में बनी नई इमारत ‘जल भूषण’ एवं क्रांतिकारियों के एक संग्रहालय का उद्घाटन करेंगे। यह संग्रहालय राजभवन में 2016 में खोजे गए एक बंकर में बनाया गया है।
राज्य ब्यूरो, मुंबई! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को एक दिन के दौरे पर महाराष्ट्र आ रहे हैं। इस दौरान वह पुणे में संत तुकाराम के एक मंदिर का उद्घाटन करेंगे। उसके बाद मुंबई स्थित राजभवन में बनी एक नई इमारत ‘जल भूषण’ का भी उद्घाटन करेंगे। शाम को वह बांद्रा-कुर्ला काम्प्लेक्स में एक गुजराती अखबार ‘मुंबई समाचार’ के द्विशताब्दी समारोह में भाग लेंगे।
प्रधानमंत्री ने खुद ट्वीट कर कहा है कि मैं देहू स्थित जगद्गुरु श्रीसंत तुकाराम महाराज के मंदिर के उद्घाटन का अवसर पाकर खुद को धन्य महसूस कर रहा हूं। संत तुकाराम की दैवीय शिक्षाओं से हम सभी प्रेरणा पाते रहते हैं। खासतौर से समाज की सेवा एवं दबे-कुचले लोगों के उत्थान के प्रति उनके विचारों को लेकर। बता दें कि संत तुकाराम सत्रहवीं शताब्दी के एक महान संत कवि हैं। उनका जन्म पुणे के देहू नामक गांव में हुआ था। उनके मुख से समय-समय पर निकलनेवाली उपदेशात्मक वचनों को अभंग के नाम से जाना जाता है। जीवन के उत्तरार्द्ध में उनके द्वारा गाए गए, तथा उसी समय उनके शिष्यों द्वारा लिख लिए गए 4000 से अधिक अभंग आज भी मराठी भक्ति साहित्य की अनमोल धरोहर माने जाते हैं।
संत तुकाराम चूंकि संत ज्ञानेश्वर एवं संत नामदेव की परंपरा के संत थे। इसलिए इनमें भी पंढरपुर स्थित भगवान विट्ठल एवं माता रुक्मिणी (श्रीकृष्ण एवं रुक्मिणी) मंदिर के प्रति अगाध भक्ति थी। भगवान के प्रति यही भक्ति इनके अभंगों में भी दिखाई देती है। महाराष्ट्र में बड़ी संख्या रखनेवाला वारकरी संप्रदाय प्रतिवर्ष आषाढ़ मास में अपने संतों के स्थान से पालकी लेकर पंढरपुर स्थित भगवान विट्ठल के मंदिर में पहुंचता है।
उस दौरान वहां बड़ा मेला भी लगता है। पुणे के देहू में उक्त मंदिर का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री मुंबई स्थित राजभवन में बनी नई इमारत ‘जल भूषण’ एवं क्रांतिकारियों के एक संग्रहालय का उद्घाटन करेंगे। यह संग्रहालय राजभवन में 2016 में खोजे गए एक बंकर में बनाया गया है। आजादी से पहले अंग्रेज सरकार इस बंकर का इस्तेमाल अपने अस्त्र-शस्त्रों के संग्रह के लिए करती थी।