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Maharashtra: अजित पवार से जुड़े 25,000 करोड़ रुपये के घोटाला मामले को बंद करने की तैयारी, मुंबई पुलिस ने की मांग

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार से जुड़े 25000 करोड़ रुपये के घोटाला मामले को पुलिस बंद करना चाहती है। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने शुक्रवार को इस मामले को बंद करने की मांग की। यह मामला राज्य में चीनी सहकारी समितियों और अन्य संस्थाओं द्वारा जिला और सहकारी बैंकों से मिले हजारों करोड़ रुपये के ऋण घोटाले से संबंधित है।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Sat, 02 Mar 2024 04:15 AM (IST)
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अजित पवार से जुड़े 25,000 करोड़ रुपये के घोटाला मामले को बंद करने की तैयारी। (फाइल फोटो)
पीटीआई, मुंबई। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार से जुड़े 25,000 करोड़ रुपये के घोटाला मामले को पुलिस बंद करना चाहती है। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने शुक्रवार को इस मामले को बंद करने की मांग की। यह मामला राज्य में चीनी सहकारी समितियों और अन्य संस्थाओं द्वारा जिला और सहकारी बैंकों से मिले हजारों करोड़ रुपये के ऋण घोटाले से संबंधित है।

विशेष लोक अभियोजक राजा ठाकरे ने सांसदों और विधायकों से संबंधित विशेष अदालत के जज आरएन रोकाडे के समक्ष 'सी समरी' रिपोर्ट दायर की। अदालत 15 मार्च को सुनवाई कर तय करेगी कि रिपोर्ट को स्वीकार किया जाए या एजेंसी को जांच जारी रखने और आरोप पत्र दायर करने का निर्देश दिया जाए।

'सी समरी' रिपोर्ट कब दायर की जाती है?

'सी समरी' रिपोर्ट तब दायर की जाती है जब तथ्यों की गलती के कारण कोई आपराधिक मामला दर्ज किया जाता है, या अपराध दिवानी प्रकृति का होता है। अभियोजन पक्ष ने 20 जनवरी को इस मामले में दूसरी क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी। कहा गया था कि दोबारा जांच में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला।

ईओडब्ल्यू ने 2020 में पहली क्लोजर रिपोर्ट दायर की

ईओडब्ल्यू ने सितंबर 2020 में पहली क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी और अदालत ने इसे स्वीकार कर लिया था। लेकिन अक्टूबर 2022 में ईओडब्ल्यू ने विशेष अदालत को सूचित किया कि वह शिकायतकर्ताओं (जिन्होंने बंद करने के विरोध में याचिका दायर की थी) और ईडी द्वारा उठाए गए बिंदुओं के आधार पर जांच कर रही है।

ईओडब्ल्यू ने वर्ष 2019 में प्राथमिकी दर्ज की

बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले में ईओडब्ल्यू ने वर्ष 2019 में प्राथमिकी दर्ज की थी। प्राथमिकी में दावा किया गया है कि एक जनवरी 2007 से 31 दिसंबर 2017 के बीच बैंक में अनियमितताओं के कारण राज्य के खजाने को 25,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

अजित और 70 से अधिक लोगों आरोपित के रूप में नामित

अजित और 70 से अधिक अन्य लोगों को आरोपित के रूप में नामित किया गया, जो संबंधित अवधि में एमएससी बैंक के निदेशक थे। ईओडब्ल्यू ने आरोप लगाया था कि चीनी मिलों को बहुत कम दरों पर ऋण वितरित करने और संपत्तियों को औने-पौने दामों पर बेचने में बैंकिंग और भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों का उल्लंघन किया गया था।

गौरतलब है कि अपने चाचा शरद पवार से अलग होने के बाद जुलाई 2023 में अजित महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री के रूप में शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हुए।

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