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Pune Porsche Accident: 'हादसा गंभीर है, लेकिन...' आरोपी किशोर की जमानत पर हाईकोर्ट ने सुनाया ये फैसला

Pune Porsche Accident पुणे के हाई प्रोफाइल पोर्श कार एक्सीडेंट मामले में आरोपी किशोर को जमानत मिल गई है। आरोपी किशोर की चाची की ओर से दायर याचिका पर मुंबई हाईकोर्ट ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया। फैसले में कोर्ट ने कई अहम टिप्पणियां करते हुए कहा है कि उसे पता है कि अपराध गंभीर है। जानिए क्या है कोर्ट का पूरा आदेश।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Published: Tue, 25 Jun 2024 08:20 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jun 2024 08:20 PM (IST)
हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि किशोर को सुधार गृह से तत्काल रिहा किया जाए। (Photo - ANI

राज्य ब्यूरो, मुंबई। मुंबई उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि पिछले महीने पुणे में पोर्श कार दुर्घटना में कथित रूप से शामिल 17 वर्षीय किशोर को सुधार गृह से तत्काल रिहा किया जाए। पुलिस का दावा है कि 19 मई को तड़के शराब के नशे में कार चला रहे किशोर ने एक दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी थी, जिसमें दो साफ्टवेयर इंजीनियरों की मौत हो गई थी। किशोर को पुणे के एक सुधार गृह में रखा गया है।

न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने किशोर न्याय बोर्ड (जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड) द्वारा नाबालिग को पर्यवेक्षण गृह भेजने के आदेश को रद्द कर दिया है। अदालत का यह आदेश आरोपी किशोर की चाची की ओर से दायर याचिका पर आया है।

आदालत ने दिया रिहाई का आदेश

अदालत ने कहा मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हम याचिका को स्वीकार करते हैं और उसकी रिहाई का आदेश देते हैं। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि किशोर याचिकाकर्ता (चाची) की देखभाल और हिरासत में रहेगा। पीठ ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के रिमांड आदेश को भी अवैध करार दिया है।

बच्चे के साथ अलग व्यवहार करना चाहिए: कोर्ट

अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि दुर्घटना की तत्काल प्रतिक्रिया, अचानक हुई प्रतिक्रिया और जन आक्रोश के बीच सीसीएल की आयु पर विचार नहीं किया गया। पीठ ने कहा कि सीसीएल की उम्र 18 वर्ष से कम है, उसकी उम्र पर विचार किया जाना चाहिए। न्यायालय कानून, किशोर न्याय अधिनियम के उद्देश्यों और लक्ष्यों से बंधा हुआ है तथा उसे अपराध की गंभीरता के बावजूद, कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी बच्चे के साथ वयस्क से अलग व्यवहार करना चाहिए।

किशोर की चाची ने दायर की थी याचिका

अदालत ने कहा कि आरोपी पहले से ही पुनर्वास की प्रक्रिया से गुजर रहा है, जो कि प्राथमिक उद्देश्य भी है। उसे पहले ही मनोवैज्ञानिक के पास भेजा जा चुका है तथा यह सिलसिला जारी रहेगा। बता दें कि यह आदेश 17 वर्षीय लड़के की चाची द्वारा दायर याचिका पर पारित किया गया है। याचिका में किशोर को अवैध रूप से हिरासत में लिए जाने का आरोप लगाते हुए उसकी तत्काल रिहाई की मांग की गई थी।

जुवेनाइल बोर्ड ने दी थी जमानत

यह दुर्घटना 19 मई को तड़के हुई थी। लड़के को उसी दिन जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड द्वारा जमानत दे दी गई थी और उसे अपने माता-पिता और दादा की देखभाल और निगरानी में रहने का आदेश दिया गया था। बाद में पुलिस ने बोर्ड के समक्ष एक आवेदन दायर कर जमानत आदेश में संशोधन की मांग की थी।

इसके बाद 22 मई को बोर्ड ने लड़के को हिरासत में लेने और उसे सुधार गृह में भेजने का आदेश दिया। जबकि लड़के की चाची ने याचिका में दावा किया कि राजनीतिक एजेंडे के साथ सार्वजनिक हंगामे के कारण पुलिस नाबालिग लड़के के संबंध में जांच के सही रास्ते से भटक गई है, जिससे किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम का पूरा उद्देश्य ही विफल हो गया है।


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