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उद्धव के लिए 'सहानुभूति लहर' की काट होगी राज और मोदी की रैली, फ्रंट फुट पर खेल रही महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना

भाजपानीत महायुति ने शुक्रवार को मुंबई के शिवाजी पार्क में लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान की समापन रैली का आयोजन किया है। इस रैली में पहली बार महायुति के अन्य नेताओं के साथ ही महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना अध्यक्ष राज ठाकरे भी प्रधानमंत्री के साथ होंगे। इस रैली को उद्धव ठाकरे द्वारा अपने पक्ष में जुटाई जा रही मराठी मानुष की सहानुभूति की काट के तौर पर देखा जा रहा है।

By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey Updated: Thu, 16 May 2024 11:45 PM (IST)
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उद्धव के लिए 'सहानुभूति लहर' की काट होगी राज और मोदी की रैली। (फाइल फोटो)
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। भाजपानीत महायुति (महागठबंधन) ने शुक्रवार को मुंबई के शिवाजी पार्क में लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान की समापन रैली का आयोजन किया है। इस रैली में पहली बार महायुति के अन्य नेताओं के साथ ही महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे भी प्रधानमंत्री के साथ होंगे। इस रैली को उद्धव ठाकरे द्वारा अपने पक्ष में जुटाई जा रही मराठी मानुष की सहानुभूति की काट के तौर पर देखा जा रहा है।

विगत नौ अप्रैल को इसी शिवाजी पार्क में अपनी पार्टी की रैली को संबोधित करते हुए राज ठाकरे ने नरेन्द्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने के लिए भाजपानीत महायुति को समर्थन देने का निर्णय किया था। अब उनकी पार्टी मनसे की तरफ से ही प्रधानमंत्री की सभा के लिए शिवाजी पार्क की बुकिंग भी की गई है।

महाराष्ट्र में पांचवें एवं अंतिम चरण का मतदान 20 मई को

महाराष्ट्र में पांचवें एवं अंतिम चरण का मतदान 20 मई को होना है। इस चरण के लिए प्रचार 18 मई की शाम छह बजे तक ही किया जा सकता है। इसलिए, उससे एक दिन पहले ही शिवाजी पार्क में प्रचार अभियान की समापन रैली करने की योजना बनाई गई है। इस रैली में राज ठाकरे का आना इसलिए महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि 2006 में अपनी पार्टी का गठन करने के बाद से अब तक वह पहली बार किसी अन्य दल या गठबंधन के मंच पर जाकर किसी सभा को संबोधित करेंगे।

एकनाथ शिंदे पर पार्टी को 'चुराने' का आरोप

यह रैली दादर स्थित उसी शिवाजी पार्क में होने जा रही है, जहां शिवसेना संस्थापक उनके ताऊ स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे लंबे समय तक शिवसेना की परंपरागत दशहरा रैली को संबोधित करते आए थे। जून 2022 में शिवसेना में हुए विभाजन के बाद चुनाव आयोग और विधानसभा अध्यक्ष द्वारा शिवसेना एवं उसके चुनाव चिह्न धनुष-बाण पर अधिकार मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट को दिया जा चुका है। इसके बाद से ही शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे द्वारा एकनाथ शिंदे पर अपनी पार्टी को 'चुराने' का आरोप लगाते आ रहे हैं।

मुंबई और ठाणे में मराठी मतदाता अहम

ये आरोप लगाकर वह मुंबई के मराठी मतदाताओं की सहानुभूति अपने पक्ष में करना चाहते हैं। मुंबई और ठाणे की आठ लोकसभा सीटों पर मराठी मतदाताओं की औसत आबादी 35 से 40 प्रतिशत तक है। भाजपा और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को लग रहा है कि यदि सहानुभूति लहर में ये मतदाता एकमुश्त उद्धव के साथ गए तो उनके लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। इसी मुश्किल को कम करने के लिए भाजपानीत महायुति ने राज ठाकरे को अपने साथ लेने का फैसला किया है।

महायुति के साथ चुनाव नहीं लड़े राज ठाकरे

शुरुआत में लग रहा था कि राज ठाकरे महायुति के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरेंगे। उन्हें महायुति में शामिल करने के लिए उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एवं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की उनसे कई बार बातचीत भी हुई थी। इसके बाद राज ठाकरे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने दिल्ली भी गए तो लगा कि अब उनका महायुति का हिस्सा बनकर चुनाव मैदान में उतरना तय हो गया है। लेकिन, कुछ दिन शांत रहने के बाद उन्होंने गुढीपाडवा के शुभ मौके पर घोषणा की कि वह लोकसभा चुनाव में नहीं उतरेंगे। लेकिन देश में चल रहे विकास कार्यों को गति देने एवं नरेन्द्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने के लिए वह महायुति को अपना समर्थन जरूर देंगे।

कार्यकर्ताओं से विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटने की अपील

साथ ही उन्होंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से छह माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटने की अपील भी की थी। माना जा रहा है कि अब जब वह पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ शिवाजी पार्क में अपने ताऊ बालासाहेब ठाकरे के स्मृति स्थल पर पहुंचेंगे और सभा को संबोधित करेंगे तो उसका असर उद्धव ठाकरे के पक्ष में जाने वाली सहानुभूति लहर को कम करने में सहायक हो सकता है।

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