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RBI गवर्नर ने आईबीसी कानून में बताया सुधार की जरूरत, बोले- फिनटेक के नियम में ग्राहकों के हितों का ध्यान रखना आवश्यक

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि कर्जदाताओं ने पिछले साल आईबीसी (दिवालिया कानून) के तहत कुल दावों का 32 प्रतिशत वसूल किया है। हालांकि अभी तक के अनुभवों से पता चलता है कि इसमें कुछ सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आईबीसी की आलोचना दो मोर्चों पर की जाती है। एक-समाधान में लगने वाला समय और स्वीकृत दावे के मुकाबले मिलने वाली कम रकम।

By Jagran News Edited By: Devshanker Chovdhary Updated: Thu, 11 Jan 2024 07:54 PM (IST)
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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास। ( फाइल फोटो)

पीटीआई, मुंबई। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि कर्जदाताओं ने पिछले साल आईबीसी (दिवालिया कानून) के तहत कुल दावों का 32 प्रतिशत वसूल किया है। हालांकि, अभी तक के अनुभवों से पता चलता है कि इसमें कुछ सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आईबीसी की आलोचना दो मोर्चों पर की जाती है। एक-समाधान में लगने वाला समय और स्वीकृत दावे के मुकाबले मिलने वाली कम रकम।

आईबीसी में सुधार की जरूरत

सेंटर फॉर एडवांस्ड फाइनेंशियल रिसर्च एंड लर्निंग (कैफ्राल) द्वारा आईबीसी पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए दास ने कहा, अगर हमें आईबीसी क्रियान्वयन का अवलोकन करें तो इसमें महत्वपूर्ण सकारात्मक संकेतों के साथ-साथ सीख भी है। हालांकि, इसमें कुछ सुधार की भी आवश्यकता है।

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उन्होंने कहा कि मूल्य की प्राप्ति के संदर्भ में कर्जदाताओं ने सितंबर, 2023 तक 9.92 लाख करोड़ रुपये के स्वीकृत दावों के मुकाबले 3.16 लाख करोड़ रुपये की वसूली की है। वर्ष 2016 में आईबीसी कानून लागू हुआ था और इसका उद्देश्य समयबद्ध तरीके से फंसे कर्जों का समाधान करना है।

डिजिटल ऋण में तेजी से हुई है बढ़ोतरी

वहीं, एक अन्य कार्यक्रम में दास ने कहा कि महामारी के बाद भारत में डिजिटल ऋण में तेजी से बढ़ोतरी हुई है साथ ही कई तरह की कारोबारी गतिविधियों को लेकर भी गंभीर मुद्दे सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि फिनटेक को लेकर नियम बनाते समय ग्राहकों के हितों का ध्यान रखना आवश्यक है।

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