सच के साथी सीनियर्स: नवी मुंबई के सीनियर सिटिजन बने सच के साथी, फेक और रियल पोस्ट पर हुई बातचीत
जागरण न्यू मीडिया की फैक्ट चेकिंग टीम विश्वास न्यूज अपने सच के साथी सीनियर्स अभियान को लेकर महाराष्ट्र पहुंची। महाराष्ट्र के नवी मुंबई के सीनियर सिटिजन्स रिक्रेशन सेंटर में शनिवार को वरिष्ठ नागरिकों को मीडिया साक्षरता फैक्ट चेकिंग क्यों जरूरी है वित्तीय धोखाघड़ी से कैसे बचें के बारे में विस्तार से बताया गया। वोटर जागरूकता के बारे में बताए हुए फेक और रियल पोस्ट के अंतर को भी समझाया गया।
मुंबई (मुंबई ब्यूरो)। जागरण न्यू मीडिया की फैक्ट चेकिंग टीम विश्वास न्यूज अपने 'सच के साथी सीनियर्स' अभियान को लेकर महाराष्ट्र पहुंची। महाराष्ट्र के नवी मुंबई के सीनियर सिटिजन्स रिक्रेशन सेंटर में शनिवार को वरिष्ठ नागरिकों को मीडिया साक्षरता, फैक्ट चेकिंग क्यों जरूरी है, वित्तीय धोखाघड़ी से कैसे बचें, के बारे में विस्तार से बताया गया।
इसके अलावा महाराष्ट्र चुनाव के बीच वोटर जागरूकता के बारे में बताए हुए फेक और रियल पोस्ट के अंतर को भी समझाया गया। कार्यक्रम को जागरण न्यू मीडिया के एग्जीक्यूटिव प्रेसीडेंट और एडिटर इन चीफ राजेश उपाध्याय और विश्वास न्यूज की सीनियर एडिटर उर्वशी कपूर ने संबोधित किया।
सीनियर एडिटर ने सभी प्रतिभागियों का किया आभार व्यक्त
कार्यक्रम के अंत में जागरण न्यू मीडिया के सीनियर एडिटर मंयक शुक्ला ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए भविष्य में जुड़े रहने के लिए कहा। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए जागरण न्यू मीडिया के एग्जीक्यूटिव प्रेसीडेंट और एडिटर इन चीफ राजेश उपाध्याय ने 'सच के साथी सीनियर्स' अभियान के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि इस मीडिया साक्षरता कार्यक्रम का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों को सोशल मीडिया पर वायरल हो रही फर्जी पोस्ट से बचाना है।वरिष्ठ नागरिक अपना काफी समय स्मार्टफोन पर बिताते हैं। ऐसे में उन्हें फर्जी पोस्ट या धोखाधड़ी वाले लिंक के जरिए आसानी से निशाना बनाया जा सकता है।
एआई के नुकसान और फायदे पर भी हुई बातचीत
विश्वास न्यूज की सीनियर एडिटर उर्वशी कपूर ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के नुकसान और फायदे बताते हुए टूल्स की मदद से बनाए जा रहे डीपफेक वीडियो और तस्वीरों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कई डीपफेक वीडियो का उदाहरण देते हुए कहा कि आजकल इस तरह के कई फर्जी वीडियो किसी प्रोडक्ट के प्रमोशन के लिए बनाए जा रहे हैं। ऐसे वीडियो को पहचानने के लिए उन्हें ध्यान से देखें।अक्सर इन वीडियो में कुछ खामियां होती हैं। जैसे- चेहरे के हावभाव बनावटी दिखेंगे या अंगुलियों की बनावट या संख्या कुछ अजीब हो सकती है। ट्रेनिंग में सीनियर एडिटर उर्वशी कपूर ने विस्तार से फैक्ट चेकिंग टूल्स और जेनेरेटिव एआई के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यदि कोई भी सूचना आपको संदिग्ध लगती है, तो उसके बारे में कीवर्ड से गूगल पर ओपन सर्च किया जा सकता है। इससे उनके असली सोर्स तक पहुंचा जा सकता है।
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