थूकने को लेकर हुए विवाद पर संजय राउत ने अजित पवार पर किया पलटवार, कहा- 'विरोध के लिए ऐसा करना हिंदू संस्कृति'
अजित पवार की विवादास्पद टिप्पणी की ओर इशारा करते हुए राउत ने कहा थूकना पेशाब करने से बेहतर है। मुझे दिखाओ कि मैं कहां थूकता हूं। यह उनकी सोच है उनकी मानसिकता है। उन्हें लगता है कि लोग उन पर थूकते हैं और यह सच है।
By AgencyEdited By: Shashank MishraUpdated: Sat, 03 Jun 2023 06:44 PM (IST)
नासिक, पीटीआई। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अजित पवार के बीच शनिवार को जुबानी जंग छिड़ गई और दोनों नेताओं ने 'थूकने' को लेकर हुए विवाद के बीच एक-दूसरे पर परोक्ष रूप से हमला किया। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला शिवसेना गुट, राकांपा और कांग्रेस महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के घटक हैं जो 2024 का चुनाव गठबंधन में लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
थूकने की घटना दुर्घटनावश हुई: संजय राउत
बता दें शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राउत ने कैमरों के सामने जमीन पर थूक दिया, जब पत्रकारों ने उद्धव ठाकरे को निशाना बनाते हुए शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे के उपहास पर अपनी प्रतिक्रिया मांगी। आलोचनाओं के घेरे में आए राउत ने शनिवार को दावा किया कि थूकना दुर्घटनावश हुआ और जानबूझकर नहीं, क्योंकि उन्हें दांतों में समस्या है। इससे पहले दिन में, अजीत पवार ने कहा कि इस तरह की थूकने की हरकत महाराष्ट्र की संस्कृति नहीं है और बोलते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
अजित पवार की विवादास्पद टिप्पणी की ओर इशारा करते हुए राउत ने कहा, थूकना पेशाब करने से बेहतर है। “मुझे दिखाओ कि मैं कहां थूकता हूं। यह उनकी सोच है, उनकी मानसिकता है। उन्हें लगता है कि लोग उन पर थूकते हैं और यह सच है। मैंने कल आपको बताया था कि मेरे दांतों में कुछ समस्या है और इसका परिणाम यह हुआ।
राउत ने त्र्यंबकेश्वर में कहा, महाराष्ट्र को धोखा देने वाले शिवसेना और बाला साहेब ठाकरे का नाम आया तो मेरी जीभ दांतों तले आ गई और मैंने थूक दिया। जब किसी राजनेता का नाम लिया गया तो मैंने नहीं थूका था, लेकिन जब देशद्रोहियों का नाम लिया गया तो मैंने ऐसा किया था।
उन्होंने दावा किया कि जब (दिवंगत हिंदुत्व विचारक) वी डी सावरकर को एक मामले के सिलसिले में एक अदालत में पेश किया गया था, "उन्होंने उस व्यक्ति (देशद्रोही) को देखकर थूक दिया था, जिसने उनके बारे में कुछ भी उगल दिया था"। गद्दारों पर थूकना हिन्दू संस्कृति है। उन्होंने कहा कि यह हिंदुत्व है, अपराध नहीं।
“थूकना पेशाब करने से बेहतर है। जो सहते हैं वो दर्द जानते हैं। हम पीड़ित हैं और उसके बावजूद हम जमीन पर खड़े हैं। मैं अब भी अपनी पार्टी के साथ हूं। मैं समस्याओं से बचने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जैसी पार्टियों के साथ गठबंधन करने के बारे में नहीं सोचता।
अजित पवार ने 2013 में राज्य में पानी की गंभीर कमी का उपहास उड़ाते हुए अपनी टिप्पणी से विवाद खड़ा कर दिया था। सूखाग्रस्त किसान की भूख हड़ताल का जिक्र करते हुए अजीत पवार ने कहा था, ''वह पिछले 55 दिनों से अनशन पर हैं। बांध में पानी नहीं है तो हम उसे कैसे छोड़ सकते हैं? क्या हमें उसमें पेशाब कर देना चाहिए? पीने के लिए पानी नहीं है, पेशाब भी नहीं हो पा रहा है।" बाद में उन्होंने अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगी।
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