औरंगजेब की कब्र हटाने के लिए PM मोदी को पत्र लिखेंगे शिवसेना विधायक, ओवैसी की पार्टी पर भी साधा निशाना
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के विधायक संजय शिरसाट ने मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाए जाने की मांग की है। साथ ही उन्होंने औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर करने के खिलाफ AIMIM द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन पर भी निशाना साधा।
औरंगाबाद, एजेंसी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के विधायक संजय शिरसाट ने मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाए जाने की मांग की है। विधायक संजय शिरसाट ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर मुगल सम्राट औरंगजेब की कब्र को औरंगाबाद शहर से हटाए जाने की मांग करेंगे।
संजय शिरसाट ने AIMIM को बताया 'बिरयानी पार्टी'
इसके साथ ही विधायक संजय शिरसाट ने औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर करने के खिलाफ ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने AIMIM को बिरयानी पार्टी करार देते हुए कहा कि सांसद इम्तियाज जलील के नेतृत्व में जो भूख हड़ताल चार मार्च से जिला कलेक्टर कार्यालय में चल रही है। यह एक आंदोलन नहीं है, बल्कि एक बिरयानी पार्टी है और इस पार्टी की तस्वीरें भी वायरल हुई हैं।
'AIMIM को नाम बदलने से क्यों हैं समस्या'
एक निजी चैनल से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि औरंगाबाद का नाम बदलने पर मुसलमानों को कोई समस्या नहीं है, लेकिन हैदराबाद के लोगों (AIMIM) को समस्या है। शिवसेना विधायक ने कहा सांसद इम्तियाज जलील को शहर का नाम बदलने से समस्या क्यों है? क्या आप औरंगजेब के वंशज हैं। उन्होंने कहा कि AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी तो औरंगजेब की कब्र पर जाते हैं और माथा टेकते हैं।
'शहर का माहौल बिगाड़ना चाहते हैं इम्तियाज जलील'
उन्होंने कहा कि औरंगजेब की याद में कोई भी दिन नहीं मनाया जाना चाहिए और औरंगाबाद से मुगल बादशाह की कब्र के अवशेषों को भी हटाया जाना चाहिए। विधायक ने कहा मैं इन मांगों के साथ प्रधानमंत्री को पत्र लिखूंगा। मैं पुलिस आयुक्त से भी मिलूंगा, क्योंकि इम्तियाज जलील शहर में शांति और सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
केंद्र ने नाम बदलने के प्रस्ताव को दी मंजूरी
बता दें कि केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद शहर का नाम धाराशिव करने को मंजूरी दे दी है। औरंगाबाद का नाम औरंगजेब से लिया गया है, जबकि उस्मानाबाद का नाम हैदराबाद की रियासत के 20 वीं सदी के शासक के नाम पर रखा गया था।