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श्रद्धा वॉकर की हत्या को एक साल पूरा, बेटी को यादकर फूट-फूटकर रो पड़े पिता; आफताब के लिए मांगी मौत की सजा

श्रद्धा वॉकर की हत्या को एक साल होने वाला है लेकिन परिवार के जहन में आज भी अपनी बेटी की यादें ताजा हैं। श्रद्धा के पिता विकास ने मिड-डे से बात करते हुए अपनी बेटी को याद किया। इस दौरान पिता विकास बेटी श्रद्धा को याद करते हुए रो पड़े।

By Jagran NewsEdited By: Mohd FaisalUpdated: Wed, 17 May 2023 05:34 AM (IST)
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श्रद्धा वॉकर की हत्या को एक साल पूरा, बेटी को यादकर फूट-फूटकर रो पड़े पिता (फाइल फोटो)

मुंबई, (मिड-डे) दिवाकर शर्मा। श्रद्धा वॉकर की हत्या को एक साल होने वाला है, लेकिन परिवार के जहन में आज भी अपनी बेटी की यादें ताजा हैं। श्रद्धा के पिता विकास ने मिड-डे से बात करते हुए अपनी बेटी को याद किया। इस दौरान पिता विकास बेटी श्रद्धा को याद करते हुए रो पड़े।

अपनी बेटी का अंतिम संस्कार नहीं कर पाए विकास

श्रद्धा के पिता विकास ने कहा कि घटना को एक साल हो गया है, लेकिन हम अभी तक अपनी बेटी का अंतिम संस्कार नहीं कर पाए हैं। पिता ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने महरौली के जंगल इलाके से श्रद्धा के 13 से 14 टुकड़े बरामद किए हैं। बता दें कि श्रद्धा की उसके लिव-इन पार्टनर आफताब पूनावाला ने दिल्ली में बेरहमी से हत्या कर दी थी और उसके शव के 35 टुकड़े कर दिए थे।

पिता विकास ने पुलिस को ठहराया जिम्मेदार

साथ ही श्रद्धा के पिता विकास ने मीरा भयंदर वासई वीरार (एमबीवीवी) पुलिस को हत्यारे पूनावाला के खिलाफ कार्रवाई में देरी नहीं करने के लिए जिम्मेदार ठहराया, जिसके खिलाफ मृतक ने घरेलू दुर्व्यवहार के लिए नवंबर 2020 में तुलुंज पुलिस थाने में शिकायत की थी। हालांकि, पिछले साल अगस्त में श्रद्धा से बात नहीं होने पर मृत परिवार ने गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें बेरंग ही लौटा दिया।

बेटी को यादकर रो पड़े पिता

पिता ने कहा कि पूनावाला के खिलाफ मानिकपुर पुलिस की लापरवाही ने उसे शेष सबूतों को नष्ट करने के लिए पर्याप्त समय दिया। अगर मानिकपुर पुलिस ने पूनावाला को तुरंत गिरफ्तार कर लिया होता, जब उन्हें पहली बार वासई बुलाया गया था, तो शरीर के अंग, हत्या के हथियार और अन्य पुख्ता सबूत सहित महत्वपूर्ण सबूत बरामद हो गए होते, लेकिन डीसीपी कार्यालय से संपर्क करने के बाद मेरे मामले को संभालने के लिए मजबूर हुए एपीआई सचिन सनप ने ऐसा कुछ नहीं किया और पूनावाला को दिल्ली लौटने की अनुमति दी, जहां उसने सबूत नष्ट कर दिए और इसका परिणाम एक पिता के लिए इतना दर्दनाक है कि आज दिल्ली पुलिस ने शरीर के केवल 13 हिस्से बरामद किए हैं, मेरी बेटी के शेष शरीर के टुकड़ों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

पिता ने की लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

बता दें कि पिछले साल 18 अक्टूबर के एक सीसीटीवी फुटेज में पूनावाला सुबह-सुबह दो बैग लेकर टहलते हुए दिखाई दिया था। पुलिस को संदेह था कि वह शरीर के अंगों को इन थैलियों में भरकर जंगल में फेंकने के लिए लेकर गया था। पिता ने कहा कि अगर पुलिस की लापरवाही से पूनावाला जैसे क्रूर हत्यारों को किसी तरह लाभ पहुंचता है तो सुस्त पुलिस अधिकारियों को निलंबित या बर्खास्त किया जाना चाहिए।

श्रद्धा की मौत के बाद उसका लेटर हुआ था वायरल

श्रद्धा वॉकर ने 23 नवंबर 2020 को तुलिंज पुलिस से संपर्क कर कहा था कि पूनावाला ने उसे मारने की कोशिश की थी। उसकी हत्या का पता चलने के बाद उसका शिकायती पत्र सामने आया, जिसमें लिखा था कि पूनावाला ने श्रद्धा का मारने की कोशिश की थी। श्रद्धा ने लिखा था कि वह मुझे डराता और ब्लैकमेल करता है कि वह मुझे मार डालेगा, मेरे टुकड़े-टुकड़े कर फेंक देगा। 6 महीने हो गए हैं और वह मुझे मारता रहा था, लेकिन मुझमें पुलिस के पास जाने की हिम्मत नहीं थी क्योंकि वह मुझे जान से मारने की धमकी देता था।

'पुलिस ने दर्ज किया बयान, लेकिन नहीं की कोई कार्रवाई'

विकास ने कहा कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा पूनावाला के खिलाफ मेरी बेटी के नवंबर 2020 शिकायत पत्र की जांच के आदेश के बाद एक एसआईटी का गठन किया गया था। पुलिस ने जनवरी में मेरा बयान भी दर्ज किया था, लेकिन तुलिंज थाने और मानिकपुर थाने के अधिकारियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि मैं अपने बयान की स्थिति जानने के लिए लगभग एक सप्ताह पहले एमबीवीवी पुलिस आयुक्त से मिला था, फिर भी मणिपुर और तुलिंज पुलिस स्टेशनों में अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

श्रद्धा के पिता की याचिका पर साकेत कोर्ट में होगी सुनवाई

बता दें कि पिता विकास ने दिल्ली के साकेत कोर्ट में शरीर के अंगों की मांग के लिए एक याचिका दायर की है, ताकि श्राद्ध का अंतिम संस्कार किया जा सके। उन्होंने कहा कि 22 मई को साकेत कोर्ट मेरी याचिका पर फैसला करेगा। उन्होंने कहा कि हत्यारे को फांसी दी जानी चाहिए। मैं यही मांग कर सकता हूं और यह तभी संभव है, जब मामले की सुनवाई समयबद्ध फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो।

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