महाराष्ट्र में नए राजनीतिक समीकरण बना सकता है सुप्रीम कोर्ट का फैसला, शिंदे सरकार पड़ सकती है खतरे में
उद्धव ठाकरे गुट की ओर से 16 विधायकों की सदस्यता की वैधता को दी गई है चुनौती। यदि इन विधायकों की सदस्यता को अवैध ठहराया जाता है तो शिंदे सरकार खतरे में पड़ सकती है। नए राजनीतिक समीकरणों के लिए पक्ष-विपक्ष दोनों अभी से कमर कसने लगे हैं।
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के 16 विधायकों की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अगले सप्ताह तक आने की उम्मीद है। इस फैसले के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक समीकरण बदलने के आसार दिखाई दे रहे हैं। पिछले वर्ष शिवसेनानीत महाविकास आघाड़ी की सरकार जाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे गुट की ओर से 16 विधायकों की सदस्यता की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रखा हुआ है। यदि संविधान पीठ के फैसले में इन 16 विधायकों की सदस्यता को अवैध ठहराया जाता है तो अभी चल रही एकनाथ शिंदे सरकार खतरे में पड़ सकती है।
ऐसी स्थिति में बनने वाले नए राजनीतिक समीकरणों के लिए पक्ष-विपक्ष दोनों अभी से कमर कसने लगे हैं। दो दिन पहले राकांपा नेता एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार ने यह कहकर नई संभावनाओं को जन्म दे दिया है कि 2024 से पहले भी महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सरकार बन सकती है। उनके इस बयान पर कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता तंज कसते हुए उन्हें अग्रिम शुभकामनाएं दे रहे हैं। लेकिन, विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी भाजपा फिलहाल चुप है।
जबकि, पिछले कुछ दिनों से अजीत पवार के भाजपा में ही जाने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। यदि सुप्रीम कोर्ट शिंदे गुट के 16 विधायकों की सदस्यता को अवैध मानता है, तो उनके गुट के शेष 24 विधायकों को अपनी सदस्यता बचाने के लिए या तो उद्धव गुट के साथ जाना पड़ेगा या दलबदल कानून के तहत उन्हें भी अपनी सदस्यता गंवानी पड़ेगी। शिंदे गुट के लिए खड़ी होने वाली ऐसी ही आपदा में अजीत पवार अपने लिए अवसर तलाश रहे हैं।
2024 से पहले राकांपा का मुख्यमंत्री बनने की संभावना: अजीत पवार
1999 में राकांपा का गठन होने के बाद से अब तक कभी भी उसका मुख्यमंत्री नहीं बन सका है। यहां तक कि पार्टी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर अब फिर से क्षेत्रीय पार्टी बन चुकी है। दूसरी ओर, भाजपा जुलाई 2022 में आधी-अधूरी सत्ता पाने और उद्धव ठाकरे को 2019 के धोखे का सबक सिखाने के लिए एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद देने को तैयार हो गई।
माना जा रहा है कि एक बार हाथ आई सत्ता बचाने के लिए यदि उसे यही मुख्यमंत्री पद इस बार राकांपा को देना पड़े तो वह इसमें तनिक भी सोच-विचार नहीं करेगी। संभवत: राकांपा संस्थापक शरद पवार भी डेढ़ साल के लिए ही सही, अपनी पार्टी के लिए मुख्यमंत्री पद लेने में कोई संकोच नहीं करेंगे। शायद इन्हीं संभावनाओं के आधार पर c2024 से पहले राकांपा का मुख्यमंत्री बनने की संभावना जता रहे हैं।