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Mumbai News: 'संयुक्त परिवार प्रणाली खत्म होने के कारण नहीं हो पा रही बुजुर्गों की देखभाल'- बंबई उच्च न्यायालय

Mumbai News पीठ ने कहा संयुक्त परिवार प्रणाली के खत्म होने के कारण कई बुजुर्गों की अब उनके परिवार द्वारा देखभाल नहीं की जा रही है। परिणामस्वरूप कई वृद्ध लोग विशेष रूप से विधवा महिलाएं अपने अंतिम पड़ाव में अकेले रह जा रहे हैं। भावनात्मक उपेक्षा वित्तीय और शारीरिक कठिनाई का अनुभव कर रहे हैं। खंडपीठ ने कहा कि उम्र बढ़ना एक बड़ी सामाजिक चुनौती बन गई है

By Agency Edited By: Babli Kumari Updated: Tue, 30 Jan 2024 03:32 PM (IST)
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बंबई उच्च न्यायालय ने बुजुर्गों की देखभाल को लेकर दिया बयान (फाइल फोटो)
पीटीआई, मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक व्यक्ति को अपनी मां के घर को खाली करने का आदेश दिया जिस पर उसने और उसकी पत्नी ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा था। अपने फैसले में अदालत ने टिप्पणी की है कि संयुक्त परिवार प्रणाली के खत्म होने के कारण बुजुर्गों की उनके स्वजनों द्वारा देखभाल नहीं की जा रही है।

न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ ने कहा कि उम्र बढ़ना एक बड़ी सामाजिक चुनौती बन गई है और इसलिए वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

संयुक्त परिवार प्रणाली के खत्म होने के कारण बुजुर्गों की नहीं हो रही देखभाल

पीठ ने कहा, “संयुक्त परिवार प्रणाली के खत्म होने के कारण, बड़ी संख्या में बुजुर्गों की देखभाल उनके परिवार द्वारा नहीं की जा रही है। इसके परिणामस्वरूप, कई बुजुर्ग व्यक्ति, विशेष रूप से विधवा महिलाएं अब अपने जीवन के अंतिम वर्ष अकेले बिताने को मजबूर हैं और भावनात्मक उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं तथा भौतिक व वित्तीय सहायता की कमी से जूझ रहे हैं।”

'महिला अपने बड़े बेटे के साथ ठाणे में रहने लगी'

यह आदेश उपमंडल अधिकारी और वरिष्ठ नागरिक रखरखाव न्यायाधिकरण के अध्यक्ष के सितंबर 2021 के आदेश के खिलाफ दिनेश चंदनशिवे द्वारा दायर याचिका पर पारित किया गया था, जिसमें उन्हें उपनगरीय मुलुंड में अपनी बुजुर्ग मां लक्ष्मी चंदनशिवे के आवास को खाली करने का निर्देश दिया गया था।

महिला के अनुसार, 2015 में उसके पति की मृत्यु के बाद, उसका बेटा और बहू उससे मिलने आए और उसके बाद घर छोड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने कथित तौर पर उसे परेशान किया और उसे घर छोड़ने के लिए मजबूर किया। बाद में महिला अपने बड़े बेटे के साथ ठाणे में रहने लगी। उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी और व्यक्ति और उसकी पत्नी को 15 दिनों के भीतर परिसर खाली करने का निर्देश दिया।

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