लॉकडाउन में 20 लाख लोगों को खाना खिलाने वाला लंगर टूटा, महाराष्ट्र के यवतमाल NH-7 पर 35 साल से कर रहे थे सेवा
कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के दौरान 20 लाख से अधिक भूखे प्रवासियों को खाना खिलाने वाला लंगर टूट गया है। यह लंगर महाराष्ट्र के यवतमाल NH-7 पर 35 साल से सेवा दे रहे थे। जमीन के मालिकों के बीच विवाद के कारण इसे ध्वस्त किया गया है। (फाइल फोटो)
By Jagran NewsEdited By: Preeti GuptaUpdated: Sun, 12 Feb 2023 10:14 AM (IST)
मुंबई, एजेंसी। कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के दौरान 20 लाख से अधिक भूखे प्रवासियों को खाना खिलाने वाला लंगर टूट गया है। यह लंगर महाराष्ट्र के यवतमाल राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित था। जानकारी के मुताबिक इस लंगर को जमींदारों के बीच कुछ विवादों के कारण स्पष्ट रूप से ध्वस्त कर दिया गया है। यवतमाल NH-7 पर पिछले 35 वर्षों से जनता की सेवा करने के लिए 'लंगर' का प्रबंधन करने वाले 84 वर्षीय सिख 'सेवक' करनैल सिंह खैरा को बेदखल कर दिया गया है और वह सड़क पर रहने के लिए मजबूर हैं।
'डेरा कार सेवा गुरुद्वारा लंगर साहिब', या 'गुरु का लंगर' के नाम से था प्रसिध्द
यह लंगर 24 मार्च, 2020 से शुरू हुआ था। लॉकडाउन की अवधि के दौरान यह लंगर लाखों गरीब ग्रामीणों, आदिवासियों और प्रवासियों के लिए रक्षक बन गया था। यह लंगर को 'डेरा कार सेवा गुरुद्वारा लंगर साहिब', या 'गुरु का लंगर' के रूप में प्रसिद्ध था। लंगर' करंजी गांव के पास खैरा द्वारा चलाया जाता था। जो इस क्षेत्र में 'खैरा बाबा' के रूप में पूजनीय हैं। उन्होंने पहले राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के तुरंत बाद 24×7, मुफ्त में, केवल दान के माध्यम से चल रहे भूखे लोगों की भीड़ को खाना खिलाया था।
जमीन के मालिकों के बीच विवाद के कारण ध्वस्त किया लंगर
मायूस खैरा बाबा ने आईएएनएस को बताया कि भूस्वामियों के बीच कुछ विवादों के कारण ही कुछ दिन पहले, अधिकारियों ने आकर पूरे 3,000 वर्ग फुट के 'लंगर' को ध्वस्त कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं यहां 35 साल से कई भूखे लोगों की सेवा में जुटा हुई हुं। शिवसेना (यूबीटी) के किसान नेता किशोर तिवारी घटनास्थल का जायजा लेने के लिए वहां पहुंचे थे। उन्होंने करीब 11 किलोमीटर दूर जंगली इलाके में ऐतिहासिक गुरुद्वारा भागोद साहिब से जुड़े 'लंगर' को गिराने के लिए राज्य प्रशासन पर उंगली उठाई है।35 साल से सेवा दे रहा था लंगर
यह लंगर जमीन के मालिकों के बीच मनमुटाव के कारण धवस्त किया गया है। लेकिन यह 'लंगर' 35 वर्षों से बिना किसी बाधा के काम कर रहा था। इसने लॉकडाउन से पहले, उसके दौरान और बाद में लाखों भूखे लोगों को महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान कीं। गरीबों की सेवा के लिए फिर से जीवित हुए लंगर को वर्तमान राज्य सरकार ने उसे गिराने का आदेश दिया था।
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अदालत में लंबित था मामला इसके बावजूद भी किया ध्वस्त
वहीं, खैरा बाबा ने दावा किया कि यह आश्चर्य की बात है कि मालिकों के बीच यह मामला अदालत में लंबित था। लेकिन इसके बावजूद सरकार ने उन्हें वहां से हटाने का आदेश दिया और प्रशासन ने लंगर को ध्वस्त कर दिया है। हालांकि तिवारी ने कहा कि हम मामले को संबंधित विभागों और मंत्रियों के साथ गंभीरता से उठाएंगे।
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