Maharashtra Politics: उद्धव ठाकरे बोले, शिवसेना का ही नहीं लोकतंत्र का भविष्य भी दांव पर
Maharashtra Politics शिवसेना उद्धव बाला साहब ठाकरे के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि आज न सिर्फ शिवसेना का भविष्य बल्कि देश में लोकतंत्र भी दांव पर लगा है। मेरा और मेरी पार्टी का भविष्य राज्य के लोग और हमारी पार्टी का कैडर तय करेगा।
By Jagran NewsEdited By: Sachin Kumar MishraUpdated: Thu, 20 Oct 2022 06:15 PM (IST)
मुंबई, राज्य ब्यूरो। Maharashtra Politics: शिवसेना उद्धव बाला साहब ठाकरे के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने कहा कि आज न सिर्फ शिवसेना (Shivsena) का भविष्य, बल्कि देश में लोकतंत्र भी दांव पर लगा है। उद्धव वीरवार को पार्टी मुख्यालय शिवसेना भवन में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे।
शिवसेना उद्धव गुट में शामिल हुए कांग्रेस नेता संजय देशमुख
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री व यवतमाल क्षेत्र के कांग्रेस नेता संजय देशमुख (Sanjay Deshmukh) वीरवार को शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट में शामिल हो गए। संजय देशमुख पहले शिवसेना में रह चुके हैं। दो बार दिगरस विधानसभा सीट से विधायक रह चुके देशमुख अब पुनः कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में आए हैं। इस अवसर पर दादर स्थित शिवसेना भवन में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि यह दावा किया जा रहा है कि शिवसेना दोफाड़ होने के बाद खत्म हो गई है। इसके बावजूद लोग उनके साथ आ रहे हैं।
मेरा व पार्टी का भविष्य राज्य के लोग और पार्टी का कैडर तय करेगा
उद्धव ठाकरे के अनुसार आम आदमी, खासतौर से राज्य के सभ्य लोग उससे कतई सहमत नहीं हैं, जो हाल ही में हुआ। उनका समर्थन मुझे मिल रहा है। वह मुझसे कह रहे हैं कि घुटने मत टेको। लड़ते रहो। हम आपके साथ हैं। उद्धव ने कहा कि राजनीतिक रूप से जिन्हें कभी अपने करीब नहीं पाता था, आज वही हमारे समर्थन में आगे आ रहे हैं। अलग-अलग धर्मों और क्षेत्रों के लोग भी साथ आ रहे हैं। क्योंकि न सिर्फ शिवसेना का भविष्य , बल्कि देश का लोकतंत्र भी दांव पर लगा है। मेरा और मेरी पार्टी का भविष्य राज्य के लोग और हमारी पार्टी का कैडर तय करेगा।जून में हुई थी शिवसेना में बड़ी टूट
जून में हुए विधान परिषद चुनाव के तुरंत बाद शिवसेना को बड़ी टूट का सामना करना पड़ा था। शिवसेना के 40 विधायकों ने टूटकर अलग गुट बना लिया था। इस गुट के उद्धव ठाकरे से अलग होने के बाद उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा था और इस गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर नई सरकार बनाई थी। उसके बाद लोकसभा में भी दो तिहाई सांसद उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ चुके हैं। शिंदे गुट और उद्धव गुट में पार्टी पर अधिकार का झगड़ा अब चुनाव आयोग में भी लंबित है। आयोग ने हाल ही में अपने अंतरिम फैसले में शिवसेना के दोनों गुटों को नया नाम और नया चुनाव चिह्न आवंटित किया है। उद्धव गुट को नया नाम शिवसेना उद्धव बाला साहब ठाकरे व चुनाव निशान मशाल मिला है, जबकि एकनाथ शिंदे गुट को नया नाम बालासाहबबांचे शिवसेना (बासा साहब की शिवसेना) व चुनाव निशान दो तलवारों के साथ ढाल मिला है।
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