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Maharashtra: शिवसेना संकट के दौरान एक्शन से 'गायब' होने से चर्चा में हैं उर्मिला मातोंडकर

Maharashtra शिवसेना के लिए एकनाथ शिंदे और बागी विधायक चुनौती बने हुए हैं तब से बालीवुड अभिनेत्री से नेत्री बनीं उर्मिला मातोंडकर कथित रूप से एक्शन से गायब होने से चर्चा में हैं। उर्मिला 2019 में कांग्रेस में शामिल हुईं थीं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Updated: Mon, 29 Aug 2022 06:25 PM (IST)
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शिवसेना संकट के दौरान एक्शन से 'गायब' होने से चर्चा में हैं उर्मिला मातोंडकर। फाइल फोटो
मुंबई, मिड डे। Maharashtra News: महाराष्ट्र में जब से शिवसेना के लिए एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और बागी विधायक चुनौती बने हुए हैं, तब से बालीवुड अभिनेत्री से नेत्री बनीं उर्मिला मातोंडकर (Urmila Matondkar) कथित रूप से एक्शन से 'गायब' होने से चर्चा में हैं। उर्मिला 2019 में कांग्रेस (Congress) में शामिल हुईं थीं। लोकसभा चुनाव में हारने के बाद उर्मिला कांग्रेस से शिवसेना (Shiv Sena) में शामिल हो गईं थीं। शिवसेना के पार्टी के नेतृत्व का उन पर काफी भरोसा था। 

उद्धव के समर्थन में आने के बजाय उर्मिला ने शिंदे व फडणवीस को किया शुभकामना ट्वीट

महाराष्ट्र (Maharashtra) में जब एकनाथ शिंदे और अन्य बागी विधायक शिवसेना के लिए चुनौती बने, तब शिवसेना उद्धव गुट के संकट के समय में उर्मिला मातोंडकर के गायब होने के बारे में पार्टी में चर्चा है। संकट के समय उद्धव ठाकरे के समर्थन में आने के बजाय उर्मिला मातोंडकर के एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को शुभकामना ट्वीट से शिवसेना के कई नेता हैरत में हैं। मातोश्री के एक करीबी विश्वासपात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मातोश्री के प्रति अपनी निष्ठा रखने वाला हर कोई ठाकरे और शिवसेना के प्रति अपना समर्थन देने के लिए आगे आया। शिवसेना संकट का सामना कर रही है, लेकिन उर्मिला को ऐसे समय में पार्टी का बचाव करते हुए कहीं नहीं देखा गया, जब पार्टी को खासकर प्रमुख हस्तियों और नेताओं से समर्थन की जरूरत है।

उद्धव ने एमएलसी के लिए उर्मिला को किया था नामित

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने उर्मला मातोंडकर को महाराष्ट्र विधान परिषद (एमएलसी) के लिए नामित किया था। उर्मिला मातोंडकर का नाम उन 12 नामों में से एक है, जिन्हें उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार ने एमएलसी नामांकन के लिए राज्यपाल को भेजा था। संविधान के अनुच्छेद 171 के तहत राज्यपाल राज्य विधान परिषद में साहित्य, कला, विज्ञान, सहकारी आंदोलन और समाज सेवा के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले 12 सदस्यों को मनोनीत कर सकते हैं। हालांकि, 2020 के बाद से खाली पड़े 12 एमएलसी पदों को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कभी भी मंजूरी नहीं दी। महाराष्ट्र की राजनीति में बदलाव के साथ अब एकनाथ शिंदे व देवेंद्र फडणवीस के परामर्श से राज्यपाल को एक नई सूची भेजेंगे।

लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस से शिवसेना में हुईं थीं शामिल

उर्मिला मातोंडकर ने 2019 का लोकसभा चुनाव मुंबई उत्तर निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था। उर्मिला को भाजपा नेता गोपाल शेट्टी ने हराया था। सितंबर में (संसदीय चुनावों के कुछ महीने बाद) उर्मिला ने अपने इस्तीफे के कारणों में इन हाउस पालिटिक्स का हवाला देते हुए कांग्रेस छोड़ दी थी। इस्तीफे के तुरंत बाद उर्मिला ने शिवसेना में शामिल होकर अपना राजनीतिक सफर फिर से शुरू कर दिया था।

कंगना से विवाद के दौरान शिवसेना का किया था समर्थन

जब शिवसेना और अभिनेत्री कंगना रनौत आमने-सामने थीं, उर्मिला मातोंडकर ठाकरे के समर्थन में आईं। मुंबई की तुलना पीओके से करने पर उर्मिला ने रनौत की खिंचाई की थी। हालांकि मातोंडकर के अनुपस्थित रहने पर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि पार्टी में नए लोगों को पुरस्कृत करने की परंपरा को बंद किया जाना चाहिए। राजनीति में बहुत से लोग एक पार्टी से दूसरी पार्टी में चले जाते हैं। यदि कोई पार्टी अन्य दलों के असंतुष्ट नेताओं को शामिल करती है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन, ऐसा करते समय किसी को भी तुरंत प्रतिष्ठित पदों से पुरस्कृत नहीं किया जाना चाहिए। एक नेता ने कहा कि प्रत्येक नए प्रवेशकर्ता के लिए प्रतीक्षा अवधि होनी चाहिए। शिवसेना के एक नेता ने मनीषा कायंडे के मामले का भी हवाला दिया था। उन्होंने दावा किया कि कायंडे, जो भाजपा से जुड़े थे, 2012 में शिवसेना में शामिल हो गए। लेकिन, उन्हें 2018 में एमएलसी बनाया गया था। उन्हें छह साल तक इंतजार करने के लिए कहा गया था। अन्य नए प्रवेशकों के साथ भी ऐसा ही होना चाहिए। 

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