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Maharashtra: संत सम्मेलनों के जरिए हिंदू जागरण करेगी विश्व हिंदू परिषद, महाराष्ट्र चुनाव के लिए ये है पूरा प्लान

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जहां एक तरफ मुस्लिम समाज को एकजुट करने का व्यूह रचा जा रहा है वहीं हिंदुओं के संगठन भी हिंदू जागरण करने का प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में विश्व हिंदू परिषद राज्य में 25 संत सम्मेलन करने की योजना बना रही है।कुछ माह पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी द्वारा दिए गए नारे ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का असर हरियाणा चुनाव में होता दिखाई दिया।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Sun, 03 Nov 2024 07:19 AM (IST)
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संत सम्मेलनों के जरिए हिंदू जागरण करेगी विश्व हिंदू परिषद
 राज्य ब्यूरो, मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जहां एक तरफ मुस्लिम समाज को एकजुट करने का व्यूह रचा जा रहा है, वहीं हिंदुओं के संगठन भी हिंदू जागरण करने का प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में विश्व हिंदू परिषद राज्य में 25 संत सम्मेलन करने की योजना बना रही है।

कुछ माह पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए गए नारे ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का असर हरियाणा चुनाव में होता दिखाई दिया। दूसरी ओर भारत में हुए लोकसभा चुनाव के बाद ही पड़ोसी देश बांग्लादेश में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद वहां हिंदू समाज पर हो रहे प्रहार ने भी योगी आदित्यनाथ की बात को सत्य साबित किया है। उसके बाद कुछ सप्ताह पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत भी हिंदुओं को एकजुट होने का आह्वान कर चुके हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा पिछले महीने महाराष्ट्र के वाशिम जिले में बंजारा समाज की एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर हम बंटे तो बांटनेवाले महफिल सजाएंगे। जबकि मोहन भागवत ने रा.स्व.संघ की परंपरागत दशहरा रैली में हिंदुओं से एकजुट रहने का आह्वान किया था। अब ठीक चुनाव के समय विश्व हिंदू परिषद महाराष्ट्र में 25 संत सम्मेलन करके हिंदुओं को एकजुट करने का अभियान चलाने जा रही है। ये संत सम्मेलन नागपुर, अकोला, लातूर, छत्रपति संभाजीनगर, जालना, नासिक तथा कोंकण क्षेत्रों में आयोजित किए जाएंगे। इन सम्मेलनों को प्रमुख संत संबोधित करेंगे।

लोकसभा चुनाव के दौरान विहिप ने इस प्रकार के संत सम्मेलन तो नहीं किए थे, लेकिन लोगों को अधिक से अधिक मतदान करने के लिए प्रेरित करने का अभियान जरूर चलाया था। तब विहिप के राष्ट्रीय संगठन मंत्री मिलिंद परांडे ने मुख्यतः चार बिंदुओं पर विचार करके मतदान करने का आह्वान किया था।

उनका कहना था कि हिंदुओं को यह सोचकर मतदान करना चाहिए कि किस-किस दल ने हिंदुओं को नागरिकता देनेवाले कानून सीएए का समर्थन या विरोध किया, किसने कश्मीर से अनुच्छेद हटाने का विरोध किया, किसने रामजन्मभूमि की प्राण प्रतिष्ठा का विरोध किया। उनका कहना था कि हिंदुओं को लव जिहाद, हिंदू समाज पर हो रहे आक्रमण एवं धर्मांतरण को ध्यान में रखकर भी मतदान करना चाहिए। तब परांडे ने नोटा का बटन न दबाने का भी आह्वान किया था। क्योंकि इससे मत निर्णायक नहीं बल्कि बर्बाद होता है।

अब विधानसभा चुनाव में भी विहिप इसी अभियान को थोड़ा और मुखर होकर चलाने जा रही है। विहिप के महाराष्ट्र – गोवा क्षेत्र के महामंत्री गोविंद शेंडे कहते हैं कि हमारा उद्देश्य हिंदू समाज को एकजुट करना है। हम किसी दल के पक्ष या विरोध में कोई अभियान नहीं चला रहे हैं। हम चाहते हैं कि महाराष्ट्र में सकल हिंदू समाज एकजुट होकर मतदान करे।

विहिप के एक और पदाधिकारी राज्य में मराठा आरक्षण के बाद पैदा हुए जातीय वैमनस्य की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि हमारा प्रयास होगा कि समाज के दो वर्गों में आई दूरियों को कम किया जाए। ताकि हिंदू समाज अपना भला-बुरा समझे और जातियों में बंटने के बजाय एकजुट होकर मतदान करे। इस मुहिम में संतों के आह्वान कारगर साबित हो सकते हैं।

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