Weather Update: अल नीनो का प्रभाव, सौ वर्षों का सबसे सूखा अगस्त
एक सदी से ज्यादा अवधि में अगस्त का यह महीना देश में सबसे अधिक सूखा रह सकता है क्योंकि अल नीनो के प्रभाव से अधिकांश इलाकों में कम वर्षा का सिलसिला जारी रहने का अनुमान है। मौसम विभाग के दो अधिकारियों ने शुक्रवार को यह आशंका व्यक्त की। उनके मुताबिक अगस्त के इस महीने में 1901 के बाद सबसे कम वर्षा होने का अनुमान है।
By AgencyEdited By: Paras PandeyUpdated: Sat, 19 Aug 2023 06:52 AM (IST)
मुंबई,एजेंसी। एक सदी से ज्यादा अवधि में अगस्त का यह महीना देश में सबसे अधिक सूखा रह सकता है क्योंकि अल नीनो के प्रभाव से अधिकांश इलाकों में कम वर्षा का सिलसिला जारी रहने का अनुमान है। मौसम विभाग के दो अधिकारियों ने शुक्रवार को यह आशंका व्यक्त की। उनके मुताबिक अगस्त के इस महीने में 1901 के बाद सबसे कम वर्षा होने का अनुमान है।
देश में वर्षा के आंकड़े 1901 से ही रखे जाते हैं। कम वर्षा के कारण धान से लेकर सोयाबीन तक की फसलों के उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका है। इससे कीमतें और समग्र खाद्य महंगाई बढ़ेगी जो जनवरी, 2020 के बाद जुलाई में सर्वाधिक थी। उम्मीद के मुताबिक मानसून ने फिर से जोर नहीं पकड़ा: एक अधिकारी ने कहा, ‘मानसून ने उम्मीद के मुताबिक फिर से जोर नहीं पकड़ा।
इस महीने के अंत तक दक्षिण, पश्चिम और मध्य भागों में वर्षा में भारी कमी दर्ज होगी।’ अभी तक हुई वर्षा के आधार पर उन्होंने कहा कि देश में इस माह के अंत तक औसतन 180 मिलीमीटर (सात इंच) से कम वर्षा होगी। देश में अगस्त के पहले 17 दिनों में 90.7 मिलीमीटर (3.6 इंच) वर्षा हुई है जो सामान्य से 40 प्रतिशत कम है। इस महीने का सामान्य औसत 254.9 मिलीमीटर (10 इंच) है। पूर्व में मौसम विभाग ने अगस्त में आठ प्रतिशत कम वर्षा होने का अनुमान व्यक्त किया था।
अगस्त माह में अब तक सबसे कम वर्षा 2005 में 191.2 मिलीमीटर (7.5 इंच) दर्ज की गई थी। विभाग की ओर से अगस्त में हुई कुल वर्षा के आंकड़े और सितंबर के लिए अनुमान 31 अगस्त या एक सितंबर को घोषित किए जाने की संभावना है। दूसरे अधिकारी ने बताया कि अगले दो हफ्तों में पूर्वोत्तर और कुछ मध्य क्षेत्रों में मानसूनी वर्षा में सुधार होने की संभावना है, लेकिन उत्तर-पश्चिम और दक्षिणी राज्यों में सूखे की स्थिति बरकरार रहने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर अगस्त में पांच से सात दिन शुष्क रहते हैं, लेकिन इस वर्ष दक्षिण भारत में यह अवधि असामान्य रूप से लंबी खिंच गई है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष देश में मानसून अभी तक असमान रहा है, जून में औसत से 10 प्रतिशत कम वर्षा हुई थी, लेकिन जुलाई में औसत से 13 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई। वर्षा का वितरण भी असमान है जो देश के उत्तरी एवं पर्वतीय इलाकों में जमकर हो रही वर्षा से स्पष्ट है।
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