Supreme Court: कलेजियम की सिफारिशों को रोके रखना लोकतंत्र के लिए घातक: जस्टिस नरीमन
जस्टिस नरीमन ने कहा कि अदालत के फैसले को स्वीकार करना कानून मंत्री का कर्तव्य है चाहे वह सही हो या गलत- एक बार संविधान पीठ ने व्याख्या कर दी तो अनुच्छेद 144 के तहत पालन करना होगा।
By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Sat, 28 Jan 2023 09:07 PM (IST)
मुंबई, पीटीआई। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित कलेजियम प्रणाली को लेकर न्यायपालिका व केंद्र के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। अगस्त 2021 में सेवानिवृत्त होने तक खुद इस कलेजियम का हिस्सा रहे सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन ने एक कार्यक्रम के दौरान कानून मंत्री किरण रिजिजू को निशाने पर लिया।
सरकार द्वारा जवाब देने की समय-सीमा हो तय
जस्टिस नरीमन ने कहा-न्यायपालिका पर कानून मंत्री की सार्वजनिक टिप्पणी न्यायपालिका की आलोचना है। उन्होंने रिजिजू को याद दिलाया कि अदालत के फैसले को स्वीकार करना उनका कर्तव्य है, चाहे वह सही हो या गलत। साथ ही कहा कि कलेजियम द्वारा अनुशंसित न्यायाधीशों के नामों पर फैसला नहीं लेना लोकतंत्र के लिए घातक है। कलेजियम की सिफारिशों पर सरकार द्वारा जवाब देने की समय-सीमा तय होनी चाहिए।
मुंबई विश्वविद्यालय में सातवें मुख्य न्यायाधीश एमसी छागला स्मृति व्याख्यान में जस्टिस नरीमन ने कहा, ''हमने इस प्रक्रिया के खिलाफ कानून मंत्री की आलोचना सुनी है। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि संविधान के दो बुनियादी मूलभूत सिद्धांत हैं, जिन्हें उन्हें जानना चाहिए।
पहला कम से कम पांच अनिर्वाचित न्यायाधीशों को हम संविधान पीठ कहते है और ये संविधान की व्याख्या करने के लिए भरोसमंद होती है। एक बार इस पीठ ने संविधान की व्याख्या कर दी तो उस निर्णय का पालन करना अनुच्छेद 144 के तहत एक प्राधिकरण के रूप में आपका कर्तव्य है। आप चाहें तो एक नागरिक के रूप में इसकी आलोचना कर सकते हैं, मैं इसकी आलोचना कर सकता हूं, लेकिन प्राधिकरण के रूप में आप उस फैसले से बंधे हैं चाहे वह सही हो या गलत।
संविधान का बुनियादी ढांचा मौजूद
''जस्टिस नरीमन ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता क्या है जब स्वतंत्र-निडर न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं की जा रही है। सुझाव दिया कि कलेजियम की सिफारिशों का जवाब देने के लिए समय सीमा तय करनी चाहिए। पांच जजों की पीठ को मेमोरेंडम आफ प्रोसीजर दुरुस्त करना चाहिए।अगर सरकार 30 दिनों के भीतर कोई जवाब नहीं देती है तो ये सिफारिशें स्वचालित रूप से स्वीकृत होने की व्यवस्था हो। उन्होंने कहा कि अगर स्वतंत्र न्यायपालिका का आखिरी स्तंभ गिर जाता है तो देश रसातल में चला जाएगा और एक नए अंधकार युग की शुरुआत होगी।
उपराष्ट्रपति को भी निशाने पर लिया जस्टिस नरीमन ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पर भी निशाना साधा, जिन्होंने संविधान के बुनियादी ढांचे के सिद्धांत पर सवाल उठाया था। जस्टिस नरीमन ने कहा कि संविधान का बुनियादी ढांचा मौजूद है और भगवान का शुक्र है कि यह रहेगा।उपराष्ट्रपति ने हाल में संविधान के बुनियादी ढांचे के सिद्धांत पर सवाल उठाते हुए केंद्र का समर्थन किया था और कहा था कि न्यायपालिका को अपनी सीमाएं पता होनी चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम रद करने को संसदीय संप्रभुता के साथ एक गंभीर समझौता बताया था।
ये भी पढ़ें- सभी शेयरों पर लागू हुई T+1 सेटलमेंट व्यवस्था, सौदे के एक दिन के भीतर खाते में आ जाएंगे पैसेये भी पढ़ें- Fact Check: सोशल मीडिया पर इंडियन ऑयल फ्यूल सब्सिडी गिफ्ट के नाम पर फर्जी लिंक हो रहा वायरल
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।