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Maharashtra Farmers Suicide: महाराष्ट्र में नहीं रुक रही किसानों की आत्महत्या, अकेले अमरावती संभाग में 557 अन्नदाताओं ने की खुदकुशी

Maharashtra Farmer Suicide महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्याएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। एक सरकारी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस साल जनवरी से जून माह के बीच अकेले अमरावती संभाग में 557 किसानों ने खुदकुशी की है। इनमें अमरावती अकोला बुलढाणा वाशिम और यवतमाल जिले शामिल हैं। अमरावती जिले में सबसे ज्यादा 170 अन्नदाता आत्महत्या कर चुके हैं।

By Agency Edited By: Sachin Pandey Updated: Wed, 10 Jul 2024 03:55 PM (IST)
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सबसे अधिक 170 आत्महत्याएं अमरावती जिले में दर्ज की गईं हैं। (सांकेतिक तस्वीर)

पीटीआई, अमरावती। महाराष्ट्र के अमरावती संभाग में इस साल 6 महीने में 557 किसानों ने आत्महत्या की है। एक सरकारी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। ये आंकड़े इस साल जनवरी से जून तक के हैं। अमरावती संभाग के तहत अमरावती, अकोला, बुलढाणा, वाशिम और यवतमाल जिले आते हैं।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने अमरावती संभागीय आयुक्तालय की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि 2024 में जनवरी से जून तक संभाग में कुल 557 किसानों ने आत्महत्या की। इनमें से सबसे अधिक 170 आत्महत्याएं अमरावती जिले में दर्ज की गईं हैं। इसके बाद यवतमाल में 150, बुलढाणा में 111, अकोला में 92 और वाशिम में 34 किसानों ने आत्महत्या की।

53 मामलों में मिली सरकारी सहायता

रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र सरकार ने इनमें से 53 मामलों में मृतक किसानों के परिवारों को सहायता प्रदान की, जबकि 284 मामले जांच के लिए लंबित हैं। कांग्रेस नेता और अमरावती सांसद बलवंत वानखड़े ने रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए पीटीआई से कहा कि महाराष्ट्र उन राज्यों में से एक है, जहां सबसे अधिक किसान आत्महत्याएं दर्ज की जाती हैं और इस मामले में अमरावती राज्य में शीर्ष पर है।

क्या हैं वजहें?

बलवंत वानखड़े ने कहा, 'फसल का नुकसान, वर्षा की कमी, कर्ज का बोझ और समय पर कृषि ऋण न चुका पाने जैसे कुछ प्रमुख कारण हैं, जिनके कारण किसान ये कदम उठाने के लिए मजबूर होते हैं। सरकार को किसानों की आय दोगुनी करने के अपने आश्वासन को पूरा करना चाहिए और उन्हें सहायता प्रदान करनी चाहिए।'

राज्य सरकार के वसंतराव नाईक शेतकरी स्वावलंबन मिशन के अध्यक्ष नीलेश हेलोंडे पाटिल ने कहा कि किसानों की आत्महत्या एक गंभीर मुद्दा है और ऐसी मौतों को रोकने के लिए समाधान खोजने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहा, 'स्थानीय प्रशासन विभिन्न सरकारी योजनाओं के साथ ग्राम पंचायत स्तर पर किसानों तक सहायता पहुंच रहा है, ताकि उनकी आय बढ़ने के साथ-साथ उनके बच्चों को शिक्षा और परिवार के सदस्यों की चिकित्सा लागत में मदद मिल सके।'