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प्राण तक देने को तैयार... Mohan Bhagwat ने RSS मुख्यालय में आजादी के बाद तिरंगा न फहराने के सवाल पर दिया जवाब

आरएसएस प्रमुख मोहन भावत ने एक सम्मेलन समारोह में कहा कि जहां तक देश के सम्मान का प्रश्न है राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान का प्रश्न है वहां पर हम (संघ प्रमुख) आपको सबसे आगे लड़ने के लिए और प्राण देने के लिए मिलेंगे। उन्होंने आगे कहा कि हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को हम जहां रहते हैं वहीं झंडा फहराते हैं। यह सवाल हमसे नहीं पूछा जाना चाहिए।

By AgencyEdited By: Piyush KumarUpdated: Thu, 07 Sep 2023 09:47 AM (IST)
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आजादी के कई सालों तक आरएसएस मुख्यालय में झंडा न फहराने के सवाल पर मोहन भागवत ने दी प्रतिक्रिया।(फोटो: एएनआई)
नागपुर,एएनआई। आजादी के बाद कई सालों तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यालय में तिरंगा झंडा नहीं फहराया गया। हालांकि, अब 15 अगस्त और 26 जनवरी को पूरे शान के साथ आरएसएस कार्यकर्ता तिरंगा झंडा फहराते हैं। बुधवार को महाराष्ट्र के नागपुर में श्री अग्रसेनल छात्रावास के छात्रों को मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने संबोधित किया।

राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान के लिए हम प्राण दे देंगे: मोहन भागवत

संबोधन के दौरान किसी ने मोहन भागवत से पूछा कि आजादी के कई सालों तक आरएसएस मुख्यालय में झंडा क्यों नहीं फहराया गया। इस सवाल का जवाब देते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा,जहां तक देश के सम्मान का प्रश्न है, राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान का प्रश्न है वहां पर हम (संघ प्रमुख) आपको सबसे आगे लड़ने के लिए और प्राण देने के लिए मिलेंगे।

उन्होंने आगे कहा कि हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को हम जहां रहते हैं, वहीं झंडा फहराते हैं। यह सवाल हमसे नहीं पूछा जाना चाहिए।

वहीं, जब मोहन भागवत ने आरक्षण के मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा,"जब तक समाज में भेदभाव है, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए।" उन्होंने युवाओं की ओर इशारा करते हुए ये भी कहा कि अखंड भारत आज के युवाओं के बूढ़े होने से पहले एक वास्तविकता बन जाएगा।

अखंड भारत को लेकर क्या बोले मोहन भागवत?

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि जब तक समाज में भेदभाव है, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अखंड भारत आज के युवाओं के बूढ़े होने से पहले एक वास्तविकता बन जाएगा।

संविधान में प्रदत्त आरक्षण का हम पूरा समर्थन करते हैं: संघ प्रमुख

संघ प्रमुख ने आगे कहा कि सामाजिक व्यवस्था में हमने अपने बंधुओं को पीछे रखा। हमने उनकी परवाह नहीं की। यह सिलसिला दो हजार साल तक चलता रहा। जब तक हम उन्हें समानता प्रदान नहीं कर देते, तब तक कुछ विशेष उपाय करने होंगे।

उन्होंने आगे कहा कि जब तक ऐसा भेदभाव बना हुआ है, संविधान में प्रदत्त आरक्षण का हम पूरा समर्थन करते हैं। सतही रूप से भेदभाव भले ही नजर न आये, लेकिन यह समाज में व्याप्त है। भागवत ने कहा कि यह केवल वित्तीय या राजनीतिक समानता सुनिश्चित करने के लिए नहीं, बल्कि सम्मान देने के लिए भी है।

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