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चंद्रयान-3 के बाद अब LUPEX Mission की तैयारी कर रहा ISRO, चंदा मामा के इस क्षेत्र में उतारा जाएगा बड़ा रोवर

चंद्रमा पर चंद्रयान-3 लैंडर की सफल साफ्ट-लैंडिंग के बाद इसरो अब दो अन्य चंद्र मिशनों ल्यूपेक्स और चंद्रयान-4 पर काम कर रहा है। स्पेस एप्लिकेशन सेंटर अहमदाबाद के निदेशक नीलेश देसाई ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन में हम 70 डिग्री तक गए लेकिन ल्यूपेक्स मिशन में हम चंद्रमा के अंधेरे वाले क्षेत्र का निरीक्षण करने के लिए 90 डिग्री तक जाएंगे। वहां बड़ा रोवर उतारेंगे जिसका वजन 350 किलोग्राम है।

By AgencyEdited By: Anurag GuptaUpdated: Fri, 17 Nov 2023 08:38 PM (IST)
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अब नए मिशन की तैयारी में इसरो (फाइल फोटो)
एएनआई, पुणे। चंद्रमा पर चंद्रयान-3 लैंडर की सफल साफ्ट-लैंडिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अब दो अन्य चंद्र मिशनों ल्यूपेक्स और चंद्रयान-4 पर काम कर रहा है।

क्या कुछ बोले नीलेश देसाई?

स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (SAC/ISRO) अहमदाबाद के निदेशक नीलेश देसाई ने पुणे में शुक्रवार को भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के 62वें स्थापना दिवस समारोह में कहा कि चंद्रयान 3 मिशन के बाद अब हम जापानी अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा के सहयोग से संयुक्त चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण मिशन ल्यूपेक्स पर काम करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा,

चंद्रयान-3 मिशन में हम 70 डिग्री तक गए, लेकिन ल्यूपेक्स मिशन में हम चंद्रमा के अंधेरे वाले क्षेत्र का निरीक्षण करने के लिए 90 डिग्री तक जाएंगे। वहां बड़ा रोवर उतारेंगे जिसका वजन 350 किलोग्राम है। चंद्रयान-3 रोवर का वजन केवल 30 किलोग्राम था।

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चंद्रयान-4 की योजना

चंद्रयान 4 मिशन के बारे में देसाई ने कहा कि चंद्रयान 3 की सफलता के बाद अंतरिक्ष कार्यक्रमों के बारे में चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चाहते थे कि हम अब बड़ी चुनौतियों का सामना करें। हमने चंद्रयान-4 मिशन की योजना बनाई है। उन्होंने कहा,

इस मिशन में हम लैंडिंग करेंगे और चंद्रमा की सतह से मिट्टी और चट्टान के सैंपल लेकर वापस आएंगे। यह महत्वाकांक्षी मिशन है। उम्मीद है कि अगले पांच से सात वर्षों में हम चंद्रमा की सतह से सैंपल लाने की चुनौती को पूरा कर लेंगे।

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चंद्रयान-3 के लैंडर ने 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह को चूम कर इतिहास रचा था। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला विश्व का पहला राष्ट्र बन गया। अब तक अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ (रूस) और चीन ने ही चंद्रमा की सतह पर अपने लैंडर उतारे हैं, लेकिन भारत से पहले कोई भी देश चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं पहुंच सका था।

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