Maharashtra: रक्षा साहित्य महोत्सव में शिरकत करने पहुंचे सीडीएस अनिल चौहान, बोले- प्राचीन भारतीय ग्रंथ ज्ञान के भंडार
कलम और कवच रक्षा साहित्य महोत्सव को संबोधित करते हुए जनरल चौहान ने महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों के साथ-साथ भगवद्गीता का उदाहरण दिया और कहा कि उनका प्राचीन ज्ञान आज की रणनीतिक जरूरतों के लिए भी प्रासंगिक है।सीडीएस ने भारतीय धर्मग्रंथों में धर्म की शाश्वत प्रासंगिकता पर जोर दिया और इसके कर्तव्य धार्मिकता और नैतिक संतुलन के सिद्धांतों को रेखांकित किया।
पीटीआई, पुणे। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने शनिवार को कहा कि इतिहास के अनगिनत सबक रणनीतिक सोच की नींव के रूप में काम करते हैं। प्राचीन भारतीय ग्रंथ ज्ञान के भंडार हैं।
'कलम और कवच' रक्षा साहित्य महोत्सव को संबोधित करते हुए जनरल चौहान ने महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों के साथ-साथ भगवद्गीता का उदाहरण दिया और कहा कि उनका प्राचीन ज्ञान आज की रणनीतिक जरूरतों के लिए भी प्रासंगिक है।सीडीएस ने भारतीय धर्मग्रंथों में धर्म की शाश्वत प्रासंगिकता पर जोर दिया और इसके कर्तव्य, धार्मिकता और नैतिक संतुलन के सिद्धांतों को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा, सभ्यता के रणनीतिक विचार भूगोल, ऐतिहासिक अनुभव जैसे विभिन्न कारकों से आकार लेते हैं। भारतीय सभ्यता पांच हजार साल की विरासत से अपनी ताकत लेती है। भारतीय इतिहास के अनगिनत पाठ रणनीतिक सोच की नींव के रूप में काम करते हैं। प्राचीन भारतीय ग्रंथ इस ज्ञान को संजोते हैं और ज्ञान के भंडार की तरह काम करते हैं।
सीडीएस चौहान ने भगवान राम के बारे में कही ये बात
जनरल चौहान ने कहा कि 'न्यायसंगत युद्ध' की अवधारणा के बारे में माना जाता है कि यह चौथी शताब्दी में सेंट आगस्टीन द्वारा रखी गई थी। लेकिन, भारत में यह पौराणिक काल से मौजूद है।
उन्होंने कहा, भगवान राम के अलावा इस अवधारणा के प्रस्तावक और कौन हैं? भगवान राम को युद्ध में जाने का पूरा अधिकार था। उन्होंने और उनकी सेना ने युद्ध के दौरान नैतिक आचरण का प्रदर्शन किया। विभीषण को राजा नियुक्त किया गया। कब्जा किए हुए क्षेत्रों को उन्होंने लौटा दिया और वापस अपने राज्य अयोध्या को लौट आए।