Historic Bhide Wada: यहीं लड़कियों के लिए खुला था देश का पहला स्कूल, ऐतिहासिक इमारत हुई जमींदोज; अब बनेगा भव्य स्मारक
कोर्ट के आदेश के बाद पुणे नगर निगम ने मंगलवार को जर्जर हो चुकी ऐतिहासिक धरोहर भिडे वाडा को आखिरकार ढहा दिया। यह वही धरोहर है जहां महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने साल 1848 में लड़कियों के लिए भारत का पहला स्कूल शुरू किया था। यह धरोहर महाराष्ट्र और देश के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Tue, 05 Dec 2023 01:51 PM (IST)
पीटीआई, पुणे। कोर्ट के आदेश के बाद पुणे नगर निगम ने मंगलवार को जर्जर हो चुकी ऐतिहासिक धरोहर भिडे वाडा को आखिरकार ढहा दिया। यह वही धरोहर है, जहां महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने साल 1848 में लड़कियों के लिए भारत का पहला स्कूल शुरू किया था।
पुणे नगर निगम के अधिकारियों ने कहा कि निगम इस जगह पर समाज सुधारक दंपत्ति को समर्पित एक राष्ट्रीय स्मारक बनाने की योजना बना रहा है। दरअसल, यहां के स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने इस जगह को खाली करने से मना कर दिया था, जिसके बाद वो कोर्ट चले गए थे।
भिडे वाडा का देश के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान
महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले ने पुणे के दगडूशेठ गणपति के सामने भिडे वाडा में लड़कियों के लिए देश का पहला स्कूल शुरू किया था। यह भारत में लड़कियों के लिए पहला स्कूल बना। इसलिए यह इमारत महाराष्ट्र और देश के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
भिडे वाडा पुणे के बुधवार पेठ इलाके में मौजूद है। बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही दिए अपने आदेश में इस जगह पर राष्ट्रीय स्मारक बनाने का रास्ता साफ किया था। आदेश में कहा गया था कि इस जर्जर इमारत में मौजूद दुकान मालिक और किरायेदार परिसर खाली कर दें।
कोर्ट के आदेश के बाद किरायेदारों को नोटिस जारी
कोर्ट के आदेश के बाद किरायेदारों को नोटिस भी जारी किए गए थे। इसके बाद किरायेदारों ने परिसर को खाली कर दिया। नगर निगम ने मंगलवार देर रात भिडे वाडा पर बुलडोजर चलाया। पुणे नगर निगम के एडिशनल कमिश्नर विकास ढाकने ने कहा कि यह एरिया 2,700 वर्ग फुट से ज्यादा में फैला है, जिसे मंगलवार तड़के ढहा दिया गया।
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